मंगलवार, 8 जनवरी 2008

गरीब देश के करोड़पति सांसद

डॉ. महेश परिमल
हमारी संसद में सदैव कई विधेयक पारित होते रहते हैं। कई बार विधेयक पारित होने में इतना शोर-शराबा होता है कि विधेयक पारित ही नहीं हो पाते। इसी शोर-शराबे और सांसदों की कमी के चलते महिला विधेयक आज तक पारित ही नहीं हो पाया। लेकिन इसी संसद में एक विधेयक चुपचाप पारित हो जाता है, इसके लिए न तो सांसदों की कमी आड़े आती है और न ही शोर-शराबा होता है। आश्चर्य इस बात का है कि इसके लिए कोई हल्का सा विरोध भी नहीं करता। केवल इसी एक विधेयक के नाम पर सारे सांसद एक हो ेजाते हैं। अन्य किसी भी मामले में हमारे सांसद एक मत नहीं हो पाते। ये विधेयक है उनके वेतन भत्तों एवं सुविधाएँ बढ़ाने वाला विधेयक।
एक रुपए में दो कप चाय या कॉफी, मसाला दोसा दो रुपए में, एक रुपए में मिल्क शेक, शाकाहारी भोजन मात्र 11 रुपए में और शाही मांसाहारी भोजन मात्र 36 रुपए में। आप सोच रहे होंगे, ये किस जमाने की बात हो रही है। पर सच मानो यह आज की बात है, हमारे सांसदों को यह सुविधा हमारी सरकार दे रही है। संसद में उनके लिए इतना सस्ता भोजन भी उन्हें वहाँ जाने के लिए विवश नहीं करता। एक गरीब देश के सांसद होने के क्या-क्या सुख हैं, ये शायद आम आदमी नहीं जानता। लकिन यह सच है कि जनता के इस प्रतिनिधि को वे सारी सुविधाएँ प्राप्त हैं, जिसके लिए एक आम आदमी जीवन भर संघर्ष करता रहता है, लकिन उस स्तर तक नहीं पहुँच पाता। हमारे सांसद इसे आसानी से सेवा भाव के नाम पर प्राप्त कर लेते हैं।
आज से चालीस साल पहले तक सांसद होना याने सेवा भाव का दूसरा नाम था। पर आज ये एक फायदे का सौदा हो गया है। एक सांसद अपने जीवन में ही इतना कमा लेता है कि उसके परिवार के किसी भी सदस्य को काम की आवश्यकता नहीं पड़ती। सेवा के नाम पर होने वाले इस धंधे ने भारतीय अर्थव्यवस्था की चूलें हिलाकर रख दी हैं, पर हमारे सांसद दिनों-दिन लखपति होत जा रहे हैं और आम आदमी को रोटी जुटाने के लाले पड़ रहे हैं.
र् वत्तमान में सांसद होना एक बहुत बड़ फायदे का सौदा है, इसका भविष्य काफी उज्ज्वल है। भारतीय सांसदों पर श्रेष्ठ काम करने का दबाव नहीं होता, उनके काम का वार्षिक मूल्यांकन भी नहीं होता। केवल चुनाव के समय ही उनकी जवाबदारी बढ़ जाती है, उनका एक ही उद्देश्य होता है कि किसी तरह संसद तक पहुँच जाएँ, फिर तो उनके पौ-बारह हो जाते हैं। उनकी तमाम सुविधाओं पर किसी तरह का अंकुश नहीं है। उन्हें दी जाने वाली सुविधाएँ सुरसा के मुँह की तरह बढ़ रही हैं। टैक्स के नाम पर उनसे केवल मासिक वेतन पर ही कुछ कटौती होती है, शेष अन्य सुविधाओं और भत्तों को जोड़ा ही नहीं जा रहा है। इसके बाद भी इस गरीब देश के करोड़पति सांसदों को इतने से ही संतोष नहीं हुआ है, उनके वेतन एवं अन्य भत्तों पर लगातार बढ़ोत्तरी होती जा रही है।
हमारे देश की 36 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा के नीचे जी रही है। ये नागरिक अपने और देश के उध्दार के लिए जिन सांसदों को चुन कर संसद में भेजते हैं, वे वहाँ जनता की भलाई के नाम पर लड़ाई-झगड़ा, गाली-गलौच आदि करते हुए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं, कई सांसदों को तो रिश्वत लेते हुए भी देश के लाखों नागरिकों ने भी देखा है। इतना सब कुछ होते हुए भी इस बार फिर उनके वेतन और भत्तों में वृद्धि करने वाला विधेयक चुपचाप पारित हो गया। इसका ंजरा सा भी विरोध नहीं हुआ। अभी तक हमारे ये जनप्रतिनिधि 40 हजार रुपए वेतन एवं अन्य भत्ते प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन 14 सितम्बर के बाद उनके वेतन बढ़कर 65 हजार के आसपास पहुँच जाएगा। इससे हमारे देश की जनता पर 62 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा।
आइए सांसदों को मिलने वाले वेतन एवं अन्य सुविधाओं पर एक नजर डालें :- हमारे सांसदों का वेतन 12 हजार रुपए से बढ़कर 16 हजार हो जाएगा, इसका आशय यह हुआ कि उन्हें वर्ष में एक लाख 92 हजार रुपए मिलेंगे, वेतन का यह ऑंकड़ा कोई बहुत बड़ा नहीं है, पर उन्हें मिलने वाले विविध भत्तों पर नजर डाले, तो इन करोड़पति सांसदों की वैभवशाली जीवनशैली देखकर हम सबको को र् ईष्या हो सकती है। इन्हें स्टेशनरी, प्रवास, बिजली से लेकर नर्द दिल्ली में पॉश इलाके में कम किराए पर आवास की बेहतर सुविधा को मिलाएँ, तो ऑंकड़ा 38 लाख वार्षिक पर पहुँचता है। इसके बाद भी कंप्युटर युग में प्रवेश करते ही इनकी माँगों में भारी इजाफा हुआ है। लाखों नि:शुल्क टेलीफोन कॉल्स, दो मोबाइल, बिजली का बिल, नि:शुल्क प्रवास सुविधा तथा जेड प्लस सुरक्षा की माँग अब की जा रही है। इससे ये लगता है कि इतना वैभवशाली जीवन मिलने के बाद ये जनता की सेवा करने आए हैं या जनता को लूटने।
अब इनके कार्यों पर एक नजर डाल दी जाए :- संसद सत्र के दौरान संसद का एक घंटे का खर्च 20.25 लाख रुपए है, परंतु जो भी विरोध में बैठता है, वह अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाते हुए अक्सर संसद में धमाल करता है। कुछ न कुछ बहाने कर वह आक्षेपबाजी या गाली-गलौच कर संसंद की गरिमा को खंडित करता है, जिससे संसद की कार्यवाही स्थगित हो जाती है। संसद सत्र के दौरान सांसद उपस्थित हो या न हो, पर उन्हें 500 रुपए का भत्ता तो मिलता ही है। अब उसे बढ़ाकर एक हजार रुपए कर दिया जाएगा। उन्हें गृह समिति की बैठक में शामिल होने के लिए भी भत्ता मिलता है। संसद में 19 गृह समिति और विविध विभागों से संबंधित 24 स्थायी समितियाँ हैं। प्रत्येक सांसद ऐसी एक या दो समिति का सदस्य है। इस समिति की बैठक में उपस्थित होने के लिए सांसद को विमान के बिजनेस क्लास का टिकट मिलता है। उसके बाद टिकट के चौथे भाग की रकम प्रवास भत्ते के रूप में मिलती है। खुद के निर्वाचन क्षेत्र में दौरे करने का उन्हें दस हजार रुपए का प्रवास भत्ता मिलता है, जो अब बढ़कर20 हजार रुपए हो जाएगा। उनके प्रवास भत्ते में भी वृद्धि की गई है, जहाँ उन्हें पहले एक किलोमीटर के लिए आठ रुपए मिलते थे, वही अब बढ़कर 16 रुपए हो जाएँगे। इसके बाद विमान यात्रा के लिए वार्षिक 6 लाख रुपए और पत्नी के साथ 34 बार देश में जहाँ चाहें, वहाँ विमान की सुविधा मुफ्त में मिल रही है। इसके अलावा वे देश मे कहीं भी कितनी ही बार ट्रेन में यात्रा मुफ्त में कर सकते हैं।
पहले हम राजा-महाराजाओं के ऐश्वर्यशाली जीवन की आलेचना करते थे और उन पर काम न करने का आरोप लगाते थे, किेंतु वे अपनी जनता की जवाबदारी निभाने में पीछे नहीं रहते थे, पर आज के इन कलयुगी सांसद राजाओं की तरफ कौन देखे, जो रातो-रात करोड़पति हो रहे हैं। सरकार से इतनी सुविधाएँ प्राप्त करने के बाद भी इन्हें ये सुविधाएँ कम लगती हैं। समझ में नहीं आता कि हमेशा झगड़ने वाले हमारे ये सांसद अपने वेतन भत्ते बढ़ाने के विधेयक पर किस तरह एकमत हो जाते हैं। अन्य मामलों में क्यों नहीं होते? इसके बाद भी कई सांसद ऐसे हैं, जो संसद की देहरी ही नहीं लाँधते,संसद न जाना उनकी आदत में शुमार हो गया है, सस्ता भोजन, बेशुमार सुविधाएँ भी इन्हें संसद तक आने के लिए प्रेरित नहीं करती। चूँकि इन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो सकती, इसलिए जनता के प्रतिनिधि बनकर ये जनता से ही दूर हो जाते हैं, केवल चुनाव के समय ही उन्हें याद आता है कि वे जनता के प्रतिनिधि हैं। ये सब कुछ हो रहा है लोकतंत्र के नाम पर। आखिर इसे कौन समझेगा, अपना वोट देने वाले भारत के गरीब नागरिक या पल-पल लखपति बनने वाले हमारे करोड़पति सांसद?
डॉ. महेश परिमल

open your eyes!
have a look at this

Salary & Govt. Concessions for a Member of Parliament (MP)

Monthly Salary : 12,000

Expense for Constitution per month : 10,000

Office expenditure per month : 14,000

Traveling concession (Rs. 8 per km) : 48,000 ( eg.For a visit from kerala to Delhi & return: 6000 km)

Daily DA TA during parliament meets : 500/day

Charge for 1 class (A/C) in train: Free (For any number of times)
(All over India )

Charge for Business Class in flights : Free for 40 trips / year (With wife or P.A.)

Rent for MP hostel at Delhi : Free

Electricity costs at home : Free up to 50,000 units

Local phone call charge : Free up to 1 ,70,000 calls.

TOTAL expense for a MP [having no qualification] per year : 32,00,000 [i.e . 2.66 lakh/month]

TOTAL expense for 5 years : 1,60,00,000

For 534 MPs, the expense for 5 years :
8,54,40,00,000 (nearly 855 crores)

AND THE PRIME MINISTER IS ASKING THE HIGHLY QUALIFIED, OUT PERFORMING CEOs TO CUT DOWN THEIR SALARIES... ?

This is how all our tax money is been swallowed and price hike on our regular commodities.......
And this is the present condition of our country:
? Error! Unknown switch argument.
855 crores could make their life livable !!
Think of the great democracy we have.............
PLEASE FORWARD THIS MESSAGE TO ALL REAL CITIZENS OF INDIA ...
but,
STILL Proud to be INDIAN ?

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