शुक्रवार, 4 अप्रैल 2008
स्पीड, थ्रिल और पॉवर में उलझा युवा
डॉ. महेश परिमल
आज युवा चारों ओर चर्चा में हैं, फिर चाहे वह क्षेत्र कोई भी क्यों न हो। आज के युवा हैं ही इतने जोशीले। अपनी उपस्थिति अब वह हर क्षेत्र में दिखा रहा है। कोई परीक्षा में प्रावीण्य सूची में अपना नाम दर्ज कर रहा है, तो कोई आकाश में अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहा है। फिर भी कुछ क्षेत्र बच जाते हैं, जो कभी अखबार की सुर्खियाँ बन जाते हैं। हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस जैसे प्रसिध्द इलाके में आधी रात को करीब 60-70 युवाओं की टोली इकट्ठी हुई। इन सबके पास महँगी से महँगी बाइक थी।किसी के पास हायाबूसा, तो किसी के पास फायरब्लेड थी, किसी के पास जेडएक्स-12 थी, तो किसी के पास आर वन नाम की बिलकुल अत्याधुनिक बाइक थी। ये सभी मोटरसाइकिलें 100 से 120 किलोमीटर की रफ्तार से भाग सकती थीं। दिल्ली के ये रइसजादे कनॉट प्लेस की सुनसान सड़कों पर आधी रात को मोटर बाइक के स्टंट करने के जमा हुए थे। इसकी भनक मीडिया लग गई, इसलिए वे कैमरा लेकर कनॉट प्लेस पहुँच गए। मीडिया वालों को देखकर नेताओं की बाँछें भले ही खिल जाती हों, पर इन बाइकर्स का गुस्सा मानों सातवें आसमान पर पहुँच गया, बस फिर क्या था, उन्होंने कैमराधारियों को मारना शुरू कर दिया। कई के कैमरे तोड़ डाले।थोड़ी ही देर में पुलिस भी वहाँ पहुँच गई। कुल 46 बाइकर्स को गिरफ्तार किया गया।बाकी बाइकर्स भागने में सफल हो गए।
तो ये थी आज के युवाओं की एक बानगी। ऐसा कहा जाता है कि ईश्वर ने मानव को पंख नहीं दिए हैं, इसलिए मानव ने मोटरसाइकिल का अविश्कार किया। बाइक का दूसरा नाम ही है तेजी।बाइक पर बैठकर हवा से बातें करना यह आज के युवाओं की मुख्य पहचान है। इसे ऐसा भी कहा जा सकता है कि जब युवा बाइक पर सवार होता है, तो बाइक उस पर सवार हो जाती है। हालीवुड में 1943 में एक फिल्म आई थी, ''द वाइल्ड वन'' इसमें मोटरसाइकिल के करतब दिखाए गए हैं। इसके बाद 1983 में सुभाश धई ने जैकी श्राफ को लेकर बनाई ''हीरो''। इसमें नायक जैकी श्राफ बाइक पर सवार होकर नायिका मीनाक्षी शेशाद्री का अपहरण करता है।लेकिन इसके बाद आई फिल्म धूम 1 और धूम 2 ने तो मानों बाइकर्स के लिए रास्ता ही खोल दिया। इस फिल्म के बाद बाइक की खरीदी में तेजी से इजाफा हुआ।इसके साथ ही युवाओं को मिल गई एक और राह।
सवाल यह उठता है आजकल युवाओं में बाइक इतनी लोकप्रिय क्यों है? जवाब आसान है, बाइक में है स्पीड, थ्रिल और पॉवर। मोटरबाइक के उत्पादकों की भूमिका इस मामले में बहुत ही महत्वपूर्ण है। वे युवाओं को अपनी लुभाने के लिए अपनी बाइक का इस तरह से प्रचार-प्रसार करते हैं कि उनकी बाइक खरीदने से युवा को उसकी प्रेयसी मिल जाएगी और उस पर उसके साथ सवार होकर वह दोनों हवा में उड़ने लगेंगे।या फिर इस बाइक को खरीदने वाले युवा को गर्लफ्रेंड मिल ही जाएगी।पीछे गर्लफ्रेंड हो, तो युवा की बाइक वैसे भी हवा से बातें करती है, इसके अलावा युवा को अपनी मर्दानगी दिखाने का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलता, इसलिए वे इसमें तमाम करतब दिखाकर अपने प्रेयसी को प्रभावित करता है। यही कारण है कि अब मोटरबाइक की बेशुमार बिक्री हो रही है। ऐसा माना जा रहा है कि सन 2010 तक एक करोड़ भारतीयों के पास अपनी मोटर बाइक होगी;
धूम और धूम 2 के बाद तो युवाओं में बाइक के प्रति दीवानगी देखने को मिली।हमारे देश में फेंसी इम्पोटर्ेड बाइक के बाजार में भारी उछाल आया है। यही वजह है कि अब हार्ले डेविडसन जैसी ब्राण्ड हमारे देश में आने की तैयारी में है। इंटरनेट पर बाइक के शौकीनों के लिए विशेश वेबसाइट पर बाइक के बारे में नई-नई जानकारियाँ दी गई हैं। बाइक पर घूमने के शौकीन योगेश सरकार ने तो bcmtouring.com नाम की वेवसाइट ही बना दी। एक बार इसी योगेश सरकार ने अपने मित्रों के साथ बाइक पर सवार होकर लद्दाख की यात्रा की थी। इस साहसिक अभियान के पहले उसने कई वेबसाइट खंगाल डाली, तब कहीं जाकर उन्हें यात्रा-संबंधी जानकारी मिली।अपनी लद्दाख यात्रा के बाद योगेश ने अपनी जो वेबसाइट तैयार की, उसमें कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ हैं, जो आज के युवाओं को काम आ सकती है। इसी तरह संदीप गज्जर ने भी xbhp.com नाम से एक वेबसाइट शुरू की।इस वेबसाइट के सदस्य हर रविवार को सुबह इकट्ठे होते हैं और बाइक पर सवार होकर लांग ड्राइव पर निकल जाते हैं।इनके निकलने का समय सुबह छ: बजे होता है, इस समय ट्रेफिक कम होता है, जब तक ट्रेफिक शुरू हो, तब तक ये सभी अपने गंतव्य तक पहुँच जाते हैं।इन युवाओं के साथ यह बात अच्छी है कि बाइक चलाते समय ये सभी अपनी मर्यादा पर ही रहते हैं, कभी कहीं छेड़छाड़ आदि नहीं करते और अपनी यात्रा पूरी तरह से शांति के साथ करते हैं। अमेरिका में बाइकिंग स्टंट के लिए विशेश शो होते हैं, जिसमें लोग टिक लेकर शो देखने जाते हैं। भारत में भी इस तरह के शो की माँग अब लगातार उठ रही है।
नई दिल्ली के एक पॉश इलाके में फैंसी बाइक्स का शो रूम है। जहाँ युवाओं को उनकी पसंद के अनुसार बाइक उपलब्ध कराई जाती है।यदि युवा को कोई विदेशी बाइक पसंद है, तो यहाँ उसकी भी व्यवस्था है।कंपनी विदेश से उस तरह की बाइक का आयात करती है।कनॉट प्लेस में जितने भी युवा पकड़े गए, उसमें से अधिकांश ने इसी शो रूम से बाइक खरीदी थी। इस शो रूम में विदेशी बाइक के केटलॉग हैं, जिसमें यह बताया गया है कि किस बाइक पर किस तरह का स्टंट किया जा सकता है। आजकल युवाओं को बाइक चलाने के लिए जगह नहीं मिलती, तो कई बार ये युवा भीड़-भाड़ वाले इलाके से गुजरते हुए अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। कई बार तो जब वे यातायात में फँस जाते हैं, तब वे वहीं डांस करना शुरू कर देते हैं। तो यह भी है युवाओं की एक बानगी।
हमारे देश की सड़कें अभी इतनी अच्छी नहीं हैं कि उस पर बाइक चलाकर कुछ स्टंट किया जाए।उस पर यदि युवा के हाथ में कोई शक्तिशाली बाइक आ जाए, तब तो मानो उस पर शैतान सवार हो गया हो जाता हो। स्पीड के चक्कर में वे युवा यह भूल जाते हैं कि वे भारत की सड़कों पर बाइक चला रहे हैं, इस स्थिति में होता यह है कि एक तरफ राहगीर और दूसरी तरफ वे स्वयं अपनी जान जोखिम में डाल रहे होते हैं।यही कारण है कि आजकल बाइक सवार युवाओ की मौत रास्ते में दुर्घटना के कारण अधिक हो रही है। जो कंपनियाँ इस तरह की बाइक बेच रही हैं, वे बाइक से होने वाली मौतों की जानकारी नहीं देती।दिल्ली के बाद अब अन्य शहरों में भी युवा बाइक पर स्टंट करते दिखाई दे रहे हैं। वायु की गति से बाइक चलाना ये स्टेडियम में ही शोभा देता है, शहर की सड़कों पर तेजी से बाइक चलाकर आज के युवा अपनी मौत को ही दावत दे रहे हैं।
डॉ. महेश परिमल
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जिंदगी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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मुझे भी बाईक बहुत पसंद है.. कभी-कभी तेज भी चलाता हूं.. मगर जो भी करता हूं वो मर्यादा में रहकर ही.. ट्रैफिक वाले जगह पर तो कभी भी तेज नहीं चलाता हूं.. और कम से कम पिछले 7-8 सालों में अब तक कोई एक्सिडेंट मुझसे तो नहीं हुआ है..
जवाब देंहटाएंवैसे दिल्ली से बाहर की बातें करें तो मुझे बैंगलूरू की जानकारी है.. वहां महात्मा गांधी मार्ग पर मैंने शाम के 6-7 बजे, जब ट्रैफिक अपने उफान पर होता है, उस समय शनिवार को कुछ बाईक राइडर्स को रेसिंग करते हुये भी देखा है.. वे सभी हायाबूसा या सीबीआर 1000 पर थे.. और बाद में सुना की वो हर सप्ताहांत पर ये करते हैं और पुलिस मूक दर्शक बन कर तमासा देखति है..
महेश परिमल जी,हमारे जहां जब तक कानुन सख्त नही होते तब तक यह सब होता रहे गा, ओर कानुन सब के लिये सख्त हो तभी, गरीब तो वेसे ही पिस जाता हे,यह चोंचले राईस जादो के हे, जिन के लिये कानुन भारत मे तो हे नही
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