मंगलवार, 3 नवंबर 2009

खलनायकी को नया आयाम दिया प्रेमनाथ ने


हिन्दी सिनेमा में प्रेम नाथ को एक ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने नायक के रप में फिल्म इंडस्ट्री पर राज करने के बावजूद खलनायकी को नया आयाम देकर दर्शकों के दिलों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी । पचास के दशक में प्रेम नाथ ने कई फिल्मों में नायक की भूमिकानिभाईं और इनमें कई हिट भी रहीं लेकिन उन्हें नायिकाओं के पीछे पेडों के इर्द.गिर्द चक्कर लगाते हुए नगमें गाना रास नहीं आया और उन्होंने नायक की भूमिका निभाने की तमाम पेशकशों को नामंजूर कर दिया । इसके बदले में उन्होंने खलनायक की भूमिकाएं निभाने को तरजीह दी । प्रेम नाथ की भूमिकाओं की विशेषता यह रही है कि उन्होंने जितनी भी फिल्मों मे अभिनय किया उनमें हर पात्र को एक अलग अंदाज मेंदर्शको के सामने पेश किया ।अपनी हर भूमिका में नये तरीके से संवाद बोलते नजर आये ।खलनायक का अभिनय करते समय प्रेम नाथ उस भूमिका में पूरी तरह डूब जाते थे ।उनका गेट अप हमेशा अलग तरीके का होता था । रंगमंच से फिल्मों के रपहले पर्दे तक पहुंचे प्रेम नाथ ने करीब तीन दशक में लगभग 100 फिल्मों में अभिनय किया। आज के दौर में कई कलाकार किसी अभिनय प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण लेकरअभिनय जीवन की शुरुआत करते हं जबकि वह अपने आप में चलते फिरते अभिनय प्रशिक्षण की संस्था थे । 21 नवंबर 1926 को पेशावर में जन्मे प्रेम नाथ को बचपन के दिनों से ही अभिनय का शौक था । देश के बंटवारे के समक्षउनका परिवार पेशावर से मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में आ गया । पचास के दशक मेंउन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिये मुंबई का रूख किया और पृथ्वी राज कपूर के 'पृथ्वी थियेटर 'में अभिनय करने लगे । वर्ष 1948 मे उन्होंने फिल्म .अजित. से अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत की लेकिन इस फिल्म से दर्शको के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके। उसी दौरान पृथ्वीराज कपूर ने प्रेम नाथ को राजकपूर से मिलने की सलाह दी। राजकपूर उन दिनों अपनी फिल्म 'आग' के लिये नये चेहरो कीतलाश कर रहे थे। राजकपूर को प्रेमनाथ में फिल्म जगत का एक उभरता सितारा दिखाई दिया और उन्होंने उन्हें अपनी फिल्म के लिए चुन लिया । वर्ष 1948 में फिल्म'आग' और 1949 राजकपूर की ही फिल्म'बरसात'की सफलता के बाद प्रेमनाथ कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये । इसके बाद तो उन्हें बड़े बड़े बनर की फिल्में मिलनी शुरू हो गई । वर्ष 1953 में फिल्म 'औरत' के निर्माण के दौरान प्रेम नाथ का झुकाव अभिनेत्री बीना राय की ओर हो गया और बाद में उन्होंने उनके साथ शादी कर ली। इसके बाद उन्होंने बीना राय के साथ मिलकर फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और पी.एन.फिलम्स बनर की स्थापना की । इस बनर के तले उन्होंने शगूफा, प्रिज् ानर ऑफ गोलकुंडा, समुंदर और वतन जसी फिल्मों का निर्माण किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स आफिस पर सफल नहीं हुई जिससे उन्हें आथक क्षति हुई । इसके बाद प्रेमनाथ ने फिल्म निर्माण से तौबा कर ली और अपना ध्यान अभिनय की ओर लगाना शुरू कर दिया । इस बीच प्रेमनाथ ने अंजान 1956 , समुंदर 1957 ्जागीर 1959, पठान 1962, रूस्तम सोहराब 1963, सिकंदरे आजम 1965 ज, सी फिल्मों में अभिनय किया और उनकी फिल्में सफल भी हुई लेकिन उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि मुख्य अभिनेता की बजाय खलनायक के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में उनका भविष्य अधिक सुरक्षित रहेगा ।

इसके बाद प्रेम नाथ ने खलनायक की भूमिकाएं निभानी शुर कर दी इन फिल्मों में तीसरी मंजिल 1966, जॉनी मेरा नाम 1970 ्धर्मात्मा 1975, विश्वनाथ 1978 और कर्ज 1980 जसी सुपरहिट फिल्में भी शामिल है । इनमें उन्होनें शम्मी कपूर, देवानंद, फीरोज खान और शत्रुघ्न सिन्हा जसे नामचीन कलाकारों के साथ काम किया और अपनी अदाकारी का जौहर दिखाकर सिक्का जमाया । प्रेमनाथ के पसंद के किरदारों की बात करें तो उन्होंने सबसे पहले अपना मनपसंद और कभी नहीं भुलाया जा सकने वाला किरदार 1970 में प्रर्दशित फिल्म 'जॉनी मेरा नाम ' में निभाया जो दर्शकों को काफी पसंद आया । धीरे धीरे उनके कैरियर की गाड़ी बढ़ती गई । गोरा और काला 1972, लोफर 1973, प्राण जाये पर वचन ना जाये, अमीर गरीब1974 तथा संन्यासी 1975 जसी कई सफल फिल्मों के जरिये दर्शकों के बीच वह अपनी विशिष्ट पहचान बनाते गये । वर्ष 1975 में प्रदशत फिल्म 'धर्मात्मा' में प्रेम नाथ के अभिनय का नया रूप दर्शकों को देखने को मिला । अंग्रेजी फिल्म'गॉडफादर ' से प्रेरित इस फिल्म में प्रेम नाथ ने अंडरवर्ल्ड डॉन के अपने किरदार 'धरमदास धर्मात्मा'को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया । बाद में इसी फिल्म से प्रेरणा लेकर अंडरवर्ल्ड पर कई अन्य फिल्में भी बनाई गई । अभिनेता के रूप में स्थापित करने के लिये उन्होंने अपनी भूमिकाओं में परिवर्तन भी किया । इस क्रम में 1970 मे प्रदशत राजकपूर की सुपरहिट फिल्म.बॉबी में उन्होनें फिल्म अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया के पिता की भूमिका निभाई । इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिये उन्हें सर्वश्रोष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया । इसके अलावा उन्हें शोर 1972 , अमीर गरीब 1974, रोटी कपड़ा और मकान जसी फिल्मों में भी जानदार अभिनय के लिये फिल्म फेयर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया। अस्सी के दशक में स्वास्थ्य खराब रहने के कारण प्रेम नाथ ने फिल्मों में काम करना कुछ कम कर दिया । इस दौरान उनकी कर्ज 1980, क्रोधी 1982, और देशप्रेमी 1982 जसी फिल्में प्रदशत हुई । वर्ष 1985 में प्रदशत फिल्म 'हम दोनों' उनके सिने कैरियर की आखिरी फिल्म थी । निर्देशक के साथ उनकी जोड़ी मशहूर निर्माता निर्देशक सुभाष घई ्के साथ काफी सराही गई । सुभाष घई के साथ उन्होंने कालीचरण, विश्वनाथ, गौतम गोविंदा, कर्ज, और क्रोधी जसी कई सुपरहिट फिल्मों में अभिनय किया । इसके अलावा राजकपूर,देवानंद ्.और मनोज कुमार की फिल्मों में भी उनका अहम योगदान रहा । हिन्दी फिल्मों के अलावा प्रेम नाथ ने अमरीकी टेलीविजन के सीरियल 'माया 'में एक छोटी सी भूमिका निभाई । इसके अलावा अमरीकी फिल्म 'कीनर 'में भी उन्होंने अभिनय किया । करीब तीन दशक तक अपने दमदार अभिनय से दर्शको के दिल में अपनी खास पहचान बनाने वाले प्रेम नाथ 3 नवंबर 1992 को इस दुनिया को अलविदा कह गये । (पुण्‍यतिथ‍ि 3 नवंबर पर विशेष)

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