मंगलवार, 28 जून 2011

ईश्वर हो या न हो, पर भ्रष्टाचार सर्वव्यापी है



डॉ. महेश परिमल
भ्रष्टाचार के संबंध में एक बार इंदिरा गांधी ने कहा था कि भ्रष्टाचार केवल भारत की समस्या नहीं है, यह तो विश्वव्यापी है। उस समय लोगों ने उनका मजाक उड़ाया था, पर आज उनकी बात बिलकुल सच साबित हो रही है। आज भ्रष्टाचार एक शिष्टाचार बन गया है। अब भ्रष्ट लोगों का जेल जाना भी किसी उत्सव से कम नहीं है। उस भ्रष्ट से मिलने वाले भी अब वीआईपी होने लगे हैं। जापान का लाकहीड कांड, अमेरिका का वाटरगेट कांड, हमारे देश का नागरवाला कांड भी भ्रष्टाचार की उपज थे। अधिक दूर जाने की आवश्यकता नहीं, हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की हालत इतनी खराब है कि अमेरिका और चीन यदि उसकी सहायता करना बंद कर दें, तो वह एक दिन भी न चल पाए। आज का मीडिया विभिन्न देशों में होने वाले भ्रष्टाचार की खबरों को सुर्खियाँ देने में लगा है। शायद ही कोई ऐसा देश हो, जहाँ भ्रष्टाचार न हो। वैसे देखा जाए, तो जहाँ राजनीति है, वहाँ भ्रष्टाचार है। मेरे पास एक मजेदार मेल आया, जिसमें लिखा था कि देश की कुल आबादी 110 करोड़ है। इसमें से 9 करोड़ लोग सेवानिवृत हैं। 25 करोड़ बच्चे और टीन एजर्स स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं। सवा करोड़ लोग अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं। करीब 80 करोड़ लोग विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में बंद हैं। 37 करोड़ लोग राज्य सरकार के और 20 करोड़ लोग केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं, जो जनहित के कार्यो को छोड़कर बाकी सब काम करते हैं। एक करोड़ लोग आईटी के प्रोफेशन में हैं, जो मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए स्थानीय प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं। इसके बाद भी देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। चारों ओर भ्रष्टाचार की ही चर्चा है। इसे पूरी तरह से खत्म करने के लिए कोई उपवास कर रहा है, तो कोई जनांदोलन की धमकी दे रहा है। पर जिसे करना है, वह सरकार कुछ नहीं कर पा रही है।
पहले महँगाई की तुलना सुरसा के मुँह से की जाती थी, अब यह शब्द कमजोर पड़ने लगा है। इसी तरह भ्रष्टाचार के लिए अब लोग विशालकाय जानवर जैसी अर्नाकोंडा, शेषनाग आदि जैसे विशेषण का प्रयोग करने लगे हैं। विश्व में शायद ही कोई ऐसा देश हो, जहाँ भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज न उठाई गई हो। हाल ही में आयशा सिद्दिकी की एक किताब आई है, जिसमें पाकिस्तान में सैन्य अधिकारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का सिलसिलेवार जिक्र है। यह किताब खूब बिक रही है। मानव जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जिसमें पाकिस्तान की सेना ने भ्रष्टाचार न किया हो। बात केवल पाकिस्तानी सेना की ही नहीं, बल्कि पाकिस्तानी पुलिस, आईएसआई और प्रशासनिक ढाँचा पूरी तरह से भ्रष्ट है। सरकार जैसी कोई चीज वहाँ है ही नहीं। इस देश को चीन और अमेरिका यदि सहायता करना बंद कर दे, तो वह एक दिन भी न चल पाए। यही हाल साम्यवाद का ढिंढोरा पीटने वाले चीन का है। इस देश के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ ने कुछ समय पहले ही कहा है कि भ्रष्टाचार एक ऐसा वाइरस है, जो हमारे देश की राजनैतिक स्थिरता को खतरे में डाल रहा है। आपको शायद विश्वास न हो, पर यह सच है कि केवल चीन में ही 2002 से 2005 तक 30 हजार शासकीय अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में सख्त सजा दी गई है। 792 जजों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। सन् 2008 में 41 हजार 179 अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्ट आचरण को लेकर जाँच चल रही है। जिनके खिलाफ आरोप सिद्ध हो गए, उन्हें सख्त सजा दी गई। इसके बाद भी लोग यही कह रहे हैं कि हमें नहीं लगता कि हमारे देश में भ्रष्टाचार कम हुआ है।
इसके मद्देनजर हमें अपने ही देश पर नजर डालें, तो 1992 में 153 सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। इनमें से आधे लोगोंे के खिलाफ आरोप सिद्ध भी हुए, इसके बाद भी सभी अधिकारी अपने पद पर काबिज रहे। एक भी अधिकारी को ऐसी सजा नहीं हुई, जिससे अन्य अधिकारी सबक लेते। बहुत ही कम लोगों को याद होगा कि भूतपूर्व राष्ट्रपति और शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 1947 में कहा था कि जब तक हम उच्च स्तर पर कायम भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और कालेबाजार का समूल नाश नहीं करेंगे, तब तक हम प्रशासनिक स्तर पर न तो कार्यक्षमता बढ़ा सकते हैं और न ही उत्पादन बढ़ा सकते हैं। सोचो, यह बात उन्होंने तब कही थी, जब हमारा देश पैदा ही हुआ था। यदि उस समय इस बात की ओर ध्यान दिया जाता, तो शायद आज ये हालात न होते। हम कहाँ थे और कहाँ पहुँच गए। आसुरी शक्तियाँ लगातार बलशाली हो रही हैं। ईमानदारी को कोसों तक पता नहीं है। फिर भी देश के कथित नेता चिंतित होकर कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने के लिए हम कृतसंकल्प हैं।
डॉ. महेश परिमल

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