मंगलवार, 15 मई 2012

नेताओं की जरूरत बनता हेलीकाप्टर

डॉ. महेश परिमल
हेलीकाप्टर दुर्घटना में झारखंड के मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा गंभीर रूप से घायल हो गए। पायलट की सूझबूझ से मुख्यमंत्री की जान बच गई। हर बार की तरह घटना की जाँच के आदेश दे दिए गए हैं। हेलीकाप्टर आज नेताओं की जरूरत बन गया है। जितनी अधिक जरूरत, उतना ही खतरा। देश में अब तक हुए न जाने कितने हादसे हुए। इन हादसों में हमें कई नेताओं को खो दिया है। अरुणाचल के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाय.एस.आर्. रेड्डी, पूर्व लोकसभा अघ्यक्ष जीएमसी बालयोगी की मौत हेलीकाप्टर दुर्घटना से ही हुई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया की मौत एक विमान दुर्घटना में हुई। संजय गांधी की मौत ग्लाइडर दुर्घटना में हुई। इसके अलावा कई नेता हेलीकाप्टर दुर्घटना में बाल-बाल बचे भी हैं।
 हाल ही में हुए 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव में हेलीकाप्टरों का खुलकर इस्तेमाल किया गया। वैसे भी अब हमारे देश में हेलीकाप्टर का उपयोग दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। चुनाव में इसका विशेष रूप से इस्तेमाल होता है। नेताओं के अलावा अब कापरेरेट क्षेत्र के लोग भी अब इसका इस्तेमाल करने में नहीं हिचकते। देश भर में अभी 280  हेलीकाप्टर हैं। देश में पहला हेलीकाप्टर 1953 में उड़ा था। एक हेलीकाप्टर की कीमत 60 से 75 करोड़ रुपए होती है। इस बार आम चुनाव में करीब 100 हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल किया गया। जिसमें रोज एक करोड़ रुपए का ईधन का इस्तेमाल हुआ। दो दशक पहले तक हेलीकाप्टर केवल रक्षा मंत्रालय के पास ही हुआ करते थे। धीरे-धीरे देश की आर्थिक प्रगति होती गई, इससे लोगों को जल्दी आने जाने के लिए हेलीकाप्टर की आवश्यकता पड़ने लगी। इसमें बड़ीर कंपनियों के अरबपति मालिक भी शामिल हैं। जिनके पास अपने निजी हेलीकाप्टर हैं। अभी देश में भले ही 280 हेलीकाप्टर हो, पर 2017 तक देश में कुल हेलीकाप्टर की संख्या बढ़कर 350 तक पहुँच जाएगी। इस दृष्टि से हमारे देश में हेलीकाप्टरों की संख्या काफी कम है, क्योंकि अभी ब्राजील के पास 700 और अमेरिका के पास 11 हजार हेलीकाप्टर हैं।
भारत में इटली की अगस्ता वेस्टलैंड ने पिछले 6 वर्षो में 50 हेलीकाप्टर बेचे हैं। एक समय था, जब हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल बाढ़ में फँसे लोगों को बचाने, जंगलों में आग बुझाने और खेतों में दवा छिड़कने के लिए किया जाता था। सेना में इसका सबसे अधिक इस्तेमाल एम्बुलेंस के रूप में किया जाता है। पहले सारे हेलीकाप्टर एक तरह के हुआ करते थे, पर अब इसमें भी वेरायटी आने लगी है। जिस तरह से कार का डेकोरेशन किया जाता है, ठीक उसी तरह हेलीकाप्टर के मालिक अपने हिसाब से इसकी बैठक व्यवस्था रखने लगे हैं। हमारे देश में अभी 20 एयर एम्बुलेंस हैं। पिछले वर्ष ही आयोजित फामरूला वन रेस में भी एयर एम्बुलेंस देखने को मिले थे। हेलीकाप्टर की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि वह मकान की छत पर भी उतर सकता है। 25 वर्गफीट जगह लैंड करने के लिए पर्याप्त होती है। देश के करोड़पति लोग अब अपने बंगलों में विशेष रूप से हेलीपेड बनवाने लगे हैं, ताकि घर से ही बाहर जाया जा सके। जब हम हेलीकाप्टर की सुविधाओं की बात कर रहे हैं, तो उसके दुष्परिणाम भी हमें ही भुगतने होते हैं। हेलीकाप्टर दुर्घटना में हमने देश के कुछ नेताओं को खोया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाय.एस. राजशेखर रेड्डी और अरुणाचल के मुख्यमंत्री दोरजी खंडू पिछले साल हेलीकाप्टर दुर्घटना में ही मारे गए। देश में इन दोनों नेताओं की कमी आज भी खलती है। अक्सर हेलीकाप्टर दुर्घटना खराब मौसम के कारण होती है। इंजन फेल होने के कारण हेलीकाप्टर कम ही दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। अभी हमारे देश में एयर टैक्सी के लिए प्रयास जारी हैं। विश्व में पहली एयर टैक्सी के मालिक केनेडियन भारतीय हैं। यह भी एक संयोग है कि वे गुजराती हैं। एयर टैक्सी हेलीकाप्टर के सामने चुनौती बन सकते हैं। इस पर शोध जारी हैं, अभी यह पहले स्तर पर है। एयर टैक्सी के लिए हेलीपेड से भी कम स्थान की आवश्यकता होती है।
एक तरफ हमारा देश दिनों-दिन समृद्ध होता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर एक तबका ऐसा भी है, जिसे एक समय का भरपेट भोजन भी नहीं मिल पा रहा है। अमीरीन्गरीबी के बीच खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है। किसी के पास साइकिल तक नहीं है, तो एक वर्ग ऐसा भी है, जो विमान और हेलीकाप्टर भी खरीद सकता है। यहाँ आकर ही भारत और इंडिया के बीच की खाई साफ दिखाई देने लगती है।  इस बार चुनाव में हम सबने देखा कि हमारे नेताओं ने किस तरह से हेलीकाप्टर का इस्तेमाल चुनावी सभाओं को संबोधित करने के लिए किया। इससे उन्हें क्या लाभ हुआ, ये तो वही जानें, पर सच तो यह है कि उन्होंने अपने समय की बचत करने के लिए उड़ान भरी। कई नताओं ने इसका इस्तेमाल अपना राजनैतिक कद बढ़ाने के लिए किया। कुछ समय बाद ये हमारे नेताओं की जरुरत बन जाएगा, इसमें कोई शक नहीं। हेलीकाप्टर पर सवार उस नेता की स्थिति बड़ी दयनीय होती है, जब वह उस पर सवार होकर बाढ़ग्रस्त लोगों को देखता है। भूख से पीड़ित चीखते-चिल्लाते लोगों को वह बैठा-बठा देख तो सकता है, पर कुछ कर नहीं सकता। संवेदना से दूर होकर संवेदनशील बनना शायद इसे ही कहते हैं।
अब तक के हादसे
30 अप्रैल, 2011 को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू की चार अन्य लोगों के साथ मृत्यु हो गई जब उनका हेलीकाप्टर खराब मौसम में तवांग की पहाड़ी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में दो पायलटों की भी मौत हो गयी थी, जो पवन हंस का एक एकल इंजन श्वह्वroष्oश्चह्लद्गr क्च उड़ा रहे थे।
सितम्बर 2009 में वाईएसआर रेड्डी के हेलिकॉप्टर एक घने जंगल में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जब वह एक विकास योजना शुरू करने के लिए चित्तूर जिले में एक गांव में जा रहे थे।
दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की मौत ग्लाइडर उड़ाते वक्त 1980 में दिल्ली के सफदरजंग हवाई अड्डे पर हो गई थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री माधवराव सिंधिया एक विमान दुर्घटना में 30 सितम्बर, 2001 को मारे गये थे जब वह एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करने कानपुर जा रहे थे। उनके साथ सफर कर रहे छह लोग भी इस हादसे में मारे गये थे।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता जीएमसी. बालयोगी का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में 3 मार्च, 2002 में आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले में निधन हो गया।
अप्रैल 2012 में शिवराज के हेलिकॉप्टर का दरवाजा खुला रह गया, बड़ा हादसा टला।
2011 में बीजेपी नेता राजनाथ सिंह और मुख्तार अब्बास नकवी बाल-बाल बचे, हेलिकॉप्टर खराब।
मार्च, 2005 में यूपी के सहारनपुर में हरियाणा के दो तत्कालीन मंत्रियों ओ पी जिंदल और सुरेंद्र सिंह की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत।
2004 में गुजरात में कांग्रेस नेता अहमद पटेल, पृथ्वीराज चव्हाण और कुमारी शैलजा का हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, बड़ा हादसा टला।
2001 में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का हेलिकॉप्टर चुरू में दुर्घटनाग्रस्त, बाल-बाल बचे।  

डॉ. महेश परिमल             

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