मंगलवार, 6 नवंबर 2012

सेंडी के साए में होंगे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव

डॉ. महेश परिमल
पूरे विश्व की नजरें इस समय अमेरिका पर लगी हैं। वहां राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 6 नवम्बर को है। इस बीच समुद्री तूफान सेंडी ने पूरे अमेरिका में तबाही का मंजर बिछा दिया है। इस दौरान पूरा अमेरिका ही तहस-नहस हो गया। 9/11 के आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका जितना भयभीत नहीं हुआ था, उससे अधिक भयभीत तो वह सेंडी से हो गया। समुद्री किनारों में अब तक कहर बनकर टूटने वाला सेंडी सबसे भयानक था। उत्तर अटलांटिक महासागर में हर वर्ष जून से लेकर नवम्बर तक कई छोटे-मोटे समुद्री तूफान आते रहते हैं। 2005 में अमेरिका के पश्चिम किनारे जो कहर बरपाया था, उसने अमेरिका को बुरी तरह से हिलाकर रख दिया था। 2010 में कनाडा में भी समुद्री तूफान ने कहर बरपाया था। इसकी ताकत सेंडी से भी अधिक थी। राष्ट्रपति चुनाव में अभी पलड़ा भले ही ओबामा का भारी हो, पर रोमनी उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं, इसमें कोई दो मत नहीं। दोनों में हुई बहस में कई बार तो रोमनी ओबामा पर भारी पड़ते दिखाई दिए। अब चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। हालांकि पूरा देश दु:ख के सागर में हिलोरें ले रहा है। पर यह भी तय है कि इस बार चुनाव में सेंडी का साया अवश्य मंडराएगा। इस बीच परिणाम भी चौंकाने वाले साबित हो सकते हैं।
अमेरिका के मौसम विज्ञानी प्रोफेसर केरी इमेंन्युअल लिखते हैं कि ग्लोबल वार्मिग के लिए मुख्य रूप से अमेरिका ही जिम्मेदार है, अब वह उसकी सजा भुगत रहा है। समुद्र में तूफान किस तरह से आते हैं, इसके लिए हमें थोड़ा-बहुत मौसम विज्ञान को समझना होगा। समुद्र की सतह का तापमान जब बढ़ता है, तब पानी के करीब रहने वाली हवा संतृप्त होकर ऊपर चढ़ने लगती है। यह संतृप्त हवा ऊपर की हवा में रहने वाले पानी की भाप को सघन बनाकर उसका पानी में रुपांतरण करती है। इसलिए बारिश होती है। जिस स्थान से संतृप्त हवा ऊपर जाती है, वहां हलके दबाव का घेरा बन जाने से आसपास की हवा आ जाती है। इसके कारण चक्रवात पैदा होता है। यह चक्रवात जब तक समुद्र में रहता है, तब तक कम विनाशक होता है। पर जैसे ही जमीन पर आता है, उसका रूप आक्रामक हो जाता है। किसी भी समुृद्र का चक्रवात कितना भयानक है, इसे हम उसके कद से पहचान सकते हैं। चक्रवात का कद मापने के लिए उसके केंद्र के सबसे बाहरी भाग के बीच का अंतर मापा जाता है। चक्रवात का कद यदि 222 किलोमीटर से कम है, तो उसे कम विनाशक माना जाता है। यदि चक्रवात का कद 333 से 666 के बीच है, तो उसे मध्यम विनाशक कहा जाएगा। यदि उसका कद 888 किलोमीटर से भी अधिक है, तो उसे महाविनाशनक माना जाएगा। हाल ही में अमेरिका में जो समुद्री तूफान आया था, उसका कद 6500 किलोमीटर था। आप समझ सकते हैं कि वह कितना महाविनाशक होगा। सचमुच उसने अमेरिका को जिस तरह से हिलाकर रख दिया है, उससे उबरने में उसे काफी समय लगेगा।
उत्तर अटलांटिक महासागर में आने वाले समुद्री तूफानों को मौसम वैज्ञानिक अलग-अलग नाम देते हैं। ये नाम पहले से ही तय कर लिए जाते हैं। एक नाम का उपयोग एक ही बार किया जाता है। जापान में समुद्री तूफानों को नाम के बदले नम्बर से जाना जाता है। सन् 2005 के अगस्त में अमेरिका के न्यू ओलियंस और लुइसियाना प्रांतों में समुद्री तूफान ने आतंक मचाया था। इस चक्रवात में 1833 लोगों की मौत हुई थी। यही नहीं 108 अरब डॉलर का नुकसान भी हुआ था। कई इलाकों में कई दिनों तक बिजली गुल हो गई थी। लोग लूटपाट पर उतारू हो गए थे। इस समुद्री तूफान ने अमेरिकी प्रशासन की सारी व्यवस्था को चौपट कर दिया था। अमेरिका की सुरक्षा की सारी पोल इस तूफान ने खोल कर रख दी। तब तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज बुश बुरी तरह से बौखला गए थे।
अभी अमेरिका में जिस सेंडी ने कहर बरपाया, वह इस मौसम का दसवां हरिकेन था। उसका जन्म 22 अक्टूबर को केरेबियन समुद्र में हुआ था। उस समय उसे नाम नहीं दिया गया था। जन्म के 6 घंटे बाद ही उसने विकराल रूप धारण कर लिया था। 24 अक्टूबर को वह जमैका पर टूट पड़ा था। 28 अक्टूबर को उसके रूप को देखते हुए उसका नामकरण किया गया। 25 को वह क्यूबा पर कहर बनकर टूटा। उसके बाद 26 को वह बहामा पहुंचा, तब वह कमजोर हो गया था। लेकिन 27 अक्टूबर को उसने अपनी ताकत फिर बटोरी और उत्तर-पश्चिम होता हुआ अमेरिका की ओर बढ़ गया। उसकी गति देखकर अमेरिका का रक्तचाप बढ़ने लगा था। यह समुद्री तूफान अमेरिका पहुंचने के पहले ही 64 लोगों की जान ले चुका था। अमेरिका ने इससे बचने के तमाम उपाय कर रखे थे, फिर भी भी उसने सारी सुरक्षा व्यवस्थाओं को धता बताते हुए कहर बरपा ही दिया। जब समुद्री तूफान अमेरिका पहुंचा, तब बराक ओबामा राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी में लगे थे। पर जैसे ही सूचना मिली, उन्होंने अपने सारे कार्यक्रम स्थगित करते हुए समुद्री तूफान से बचने की व्यवस्थाओं में लग गए। इसमें उनका स्वार्थ भी था। उन्हें यह अच्छी तरह से पता है कि यदि चुनाव के समय उनका प्रशासन कमजोर साबित हुआ, तो वे जीती हुई बाजी हार सकते हैं। विश्व पर जिस तरह से अकाल, भूकंप, सुनामी, हरिकेन आदि प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रहीं हैं, वह मानव जाति के लिए चुनौती है। एक तरह से इसे वेक-अप कॉल भी कह सकते हैं। यदि मानव अब भी इस चेतावनी को अनदेखा करता है और पर्यावरण को बिगाड़ने में कोई कसर बाकी नहीं रखता, तो पूरे मानव जाति खतरे में पड़ जाएगी, यह तय है।
डॉ. महेश परिमल

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