शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

भारतीय बाजारों में कहां है महंगाई

डॉ. महेश परिमल
अब तक पूरे देश में महँगाई का बोलबाला था। इस समय जब हम बाजार की ओर देखते हैं, तो लगता है कि इस देश में महंगाई नाम की कोई चीज है ही नहीं। आज बाजार अटे पड़े हैं, विभिन्न प्रकार की वस्तुओं से। दिवाली को लेकर लोगों में उत्साह है। चीनी उत्पादों से बाजार पूरी तरह से सुसज्जित हो गए हैं। जैसे जैसे लोगों को बोनस मिल रहा है, बाजारों में भीड़ बढ़ती जा रही है। यह समझ से परे है कि लोग आखिर समय पर ही खरीददारी क्यों करते हैं? पुष्य नक्षत्र में सोने की जोरदार खरीदी हुई। अब धनतेरस को होगी। सभी क्षेत्रों के बाजार गुलजार हैं। सेल और डिस्काउंट के माध्यम से प्रलोभनों के स्लोगनों से मीडिया भी गुलजार है। इस समय कोई विदेशी यदि भारत आ जाए, तो वह देश को अन्य देशों की तुलना में बहुत ही ऐश्वर्यशाली मानेगा। इस समय देश में गरीबी नाम की किसी चीज के दर्शन ही दुर्लभ हो गए हैं।
इस समय बाजार में इलेक्ट्रानिक्स चीजों की खरीदी जोरों पर है। इलेक्ट्रानिक्स गेजेट का बाजार खूब जोरों पर है। इस समय घर में नई चीजों को लाकर उसे घर में सजाया जाता है। इसमें सेल और डिस्काउंट की खास भूमिका है। यह परंपरा हमें केवल दिवाली ही नहीं, बल्कि अन्य त्योहारों में भी नजर आती है। इन दिनों दुकानों पर सेल या डिस्काउंट का जो बोर्ड दिखाई दे रहा है, वह ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ही नहीं, बल्कि उनकी जरुरतों को बढ़ाने वाला है। ग्राहक दुकान की सीढ़ियां ही चढ़ पाता है, बाकी काम तो सेल्समेन कर देते हैं। इनसे प्रभावित होकर ग्राहक उन चीजों को भी खरीद लेता है, जिसकी उसे कतई आवश्यकता नहीं होती। इस समय तो साधारण फेरी वाले के भी वारे-न्यारे हो जाते हैं। ग्राहक जो खरीदना चाहता है, उसे व्यापारी बेचना चाहता है। दोनों के बीच ये सेल या डिस्काउंट का बोर्ड सेतु का काम करता है। सभी दुकानों या फिर मॉल में इस तरह के आकर्षित करने वाले बोर्ड मिल ही जाएंगे।
चीनी उत्पाद से बाजार भर गए हैं। भारत की आवश्यकता को देखते हुए जिस तरह से चीन अपने उत्पादों को हमारे देश में खपा रहा है,उससे भारतीय बाजार निश्चित रूप से प्रभावित हो रहा है। चीन से भारत आकर में उसके उत्पाद भारतीय उत्पाद से सस्ते क्यों हैं, यह शोध का विषय हो सकता है। भारत के सभी त्योहारों पर चीनी उत्पाद दिखाई दे ही जाते हैं। फिर चाहे वह पतंग हो, धागे हों, इलेक्ट्रानिक्स आइटम हो,सजावटी सामान हो, सभी उत्पादों पर उसकी पकड़ मजबूत दिखाई देती है। इस समय वे सड़कें भी जनसैलाब से पूरम्पूर दिखाई देती हैं, जहां पहले इक्का-दुक्का लोग आते थे। पिछने दो-तीन दिनों से जिस बाजारों में जनसैलाब उमड़ रहा है, उससे यही लगता है कि लोगों के पास धन की कोई कमी नहीं है। बेकार का रोना रोते हैं लोग, महंगाई के नाम पर। लोगों का मानना यह है कि दिवाली के समय व्यापारी अपना स्टॉक खत्म करना चाहता है, इसलिए सेल या डिस्काउंट के नाम पर अपनी चीजें बेच रहा है। वास्तव में यहां व्यापारियों का सिंडीकेट काम कर रहा है। इसे ग्राहक नहीं समझता। तैयार कपड़े, मिठाई, बरतन, चप्पल-जूते आदि सामानों से लोगों को लुभाने का सिलसिला जारी है। कंप्यूटर या फिर ई कामर्स साइट पर भी इस समय सेल का नजारा देखने को मिल रहा है। अब तो कई कंपनियों बिना क्रेडिट कार्ड पर अपना उत्पाद बेचने को तैयार हैं। ऑर्डर देकर आप घर पहुंचे, तब तक माल आपके घर पहुंच चुका होता है। इटरनेट के माध्यम से लोग अपने परिचितों को गिफ्ट भेजने लगे हैं। फिर वह वस्तु शहर की कोई प्रसिद्ध मिठाई हो, या फिर अपने हाथों से बनाई गई कोई बानगी। इंटरनेट के माध्यम से वह दूसरे देशों तक पहुंचने लगी है। इसमें एक बात ध्यान देने की है, वह है इनकी सर्विस। हम सबने महसूस किया होगा कि आजकल उत्पाद से महत्वपूर्ण है, उसकी सर्विस। लोग सर्विस से ही अपनी पहचान कायम करने लगे हैं।
दिवाली के त्योहार के पहले यह माना जा रहा था कि इस बार इस त्योहार पर महंगाई का असर दिखाई देगा। व्यापारी भी चिंतित थे। पर पिछले दो-तीन दिनों की जबर्दस्त खरीदी ने इस धारणा को झुठला दिया। अभी दिवाली को कुछ दिन शेष हैं, पर इस शनिवार-रविवार को बाजारों में पाँव रखने की जगह भी नहीं मिलेगी, यह तय है। लोग अपने लिए अपनी संतानों के लिए अपने परिजनों के लिए कुछ न कुछ खरीदना ही चाहते हैं।
त्योहारी सेंटीमेंट का फायदा उठाने के लिए अधिकतर बैंक Rेडिट कार्ड पर कैश-बैक ऑफर करते हैं। इस तरह के ऑफर कुछ खास ब्रांड, डिपार्टमेंट स्टोर, अपैरल या रेस्तरां के साथ ही ऑफर किए जाते हैं। बैंक/Rेडिट कार्ड कंपनियां अपनी वेबसाइट पर विस्तृत सूची जारी करती हैं। ऐसे में, आप अपनी पसंद के मुताबिक किसी भी मचेर्ंडाइज पर Rेडिट कार्ड इस्तेमाल कर कैश-बैक ऑफर का मजा नहीं ले सकते हैं। फिर, इस ऑफर का आनंद उठाने के लिए आपको एक निश्चित सीमा तक खर्च करना पड़ता है। यह सीमा बैंक दर बैंक अलग-अलग हो सकती है। हालांकि, यह 1,000 रुपए से लेकर 3,000 रुपए के बीच हो सकती है। बैंक यह कह सकता है कि आपको सभी खचोर्ं पर 10 फीसदी का कैश-बैक मिलेगा, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा 1,000 रुपए होगी। तब आप 30,000 रुपए खर्च करके भी सिर्फ 1,000 रुपए का कैश-बैक पाएंगे, न कि 3,000 रुपए। सभी बैंकों की कैश बैक पर सब-लिमिट होती है। ज्यादातर बैंकों के Rेडिट कार्ड पर कैश बैक की मंथली लिमिट होती है। मिसाल के तौर पर कोई बैंक प्रति कार्ड पर कैश बैक की सुविधा 2,500 रुपए तक तय कर सकता है। दूसरा बैंक, हर सेगमेंट के खर्च में 500 रुपए की सीमा तय कर सकता है। ऐसे में कार्ड लेने से पहले इसका पता लगाना जरूरी है। आपको यह भी चेक करना पड़ेगा कि कैश बैक के तहत बैंक डीटीएच या ब्रॉडबैंड सविर्सेज का बिल ऑफर करते हैं या नहीं। ये सेवाएं नई हैं, इसलिए मुमकिन है कि बैंकों ने इसे यूटिलिटी सविर्सेज के दायरे में न रखा हो।
दिवाली का त्योहार है ही खर्च करने के लिए। कहीं से कोई चीज उधार मिल रही है, तो जल्दबाजी कदापि न करें। आप यह समझ लें कि अभी देने वाला आप पर मेहरबान है, पर हमेशा नहीं रहेगा। उसे चीज बेचनी है, इसलिए वह नरम है, जब उसे चीज के दाम लेने होंगे, तो वह कठोर हो जाएगा। तब आप कहेंगे कि चीज देते समय जितने नरम थे, अब उतने नरम क्यों नहीं हैं? पर यह बात वह नहीं समझेगा, वह कठोरता से ही अपना धन लेना चाहेगा। इसलिए अपनी जरुरत और अपनी सीमा को ध्यान में रखकर ही खरीददारी करें। चीज ली है,तो उसका भुगतान करना ही होगा। कोई भी अपनी चीज मुफ्त में देने के लिए नहीं बैठा है। लेते समय हमें तकलीफ नहीं होती, पर देर से उसका भुगतान करने में बहुत ही पीड़ा होती है। इसलिए इसे समझकर ही अपनी समझदारी का परिचय चीजें खरीदते समय दें।
    डॉ. महेश परिमल

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