बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

हमारे प्रमुख वित्त मंत्री


डॉ. महेश परिमल
फरवरी का माह देश के बजट का होता है। माह की शुरुआत से ही लोग अपने बजट पर कम लेकिन देश के बजट पर अधिक चर्चा करते नजर आते हैं। इसी माह रेल बजट भी घोषित होता है। बजट चाहे घर का हो, या फिर देश का, चिंतित अवश्य करता है। आमदनी के आधार पर वर्ष भर की योजनाओं पर कार्य करने के लिए मुस्तैद होना होता है। कई बार देश का बजट आम आदमी के लिए भारी पड़ जाता है। वैसे बजट में हमेशा आम आदमी को ही रखा जाता है। पर यह उसी के लिए घातक होता है। सरकार अपने खर्च की भरपाई करने के लिए टैक्स में बढ़ोत्तरी करती है। इधर आम आदमी पर उसका असर बुरी तरह से पड़ता है। फिर भी हर वर्ष यह सोचा जाता है कि इस बार शायद आम आदमी को बजट में राहत मिले। कई बार बजट में जिन उत्पादों से कर हटाया जाता है, या जिन उत्पादों को सस्ता किया जाता है, उसका लाभ आम आदमी को नहीं मिल पाता। इस देश में ऐसा होता आया है कि एक बार जो वस्तु महंगी हो गई, वह कभी सस्ती नहीं होती। लोगों को चीजें सस्ती मिले, इसके लिए कोई प्रयास नहीं होते। बजट में केवल चीजें सस्ती होने की घोषणा मात्र ही होती है। कई बार महंगाई बढ़ाने में यही बजट जिम्मेदार होते हैं। पिछले कुछ समय से देश में जो भी बजट लाया गया है, उसे प्रस्तुत करने वाले या तो अर्थशास्त्री हैं, या फिर उच्च शिक्षा प्राप्त। इन्होंने जब भी बजट तैयार किया है, उसमें किसी तरह की राजनैतिक मनमानी नहीं चली है। देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पहले वित्त मंत्री रह चुके हैं, इसके अलावा पी.चिदम्बरम कल देश का बजट संसद में पेश करेंगे, ये दोनों ही अमेरिकी की डिग्री से विभूषित हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पंजाब यूनिवसिर्टी में 1948 में मेट्रिक की परीक्षा पास की। आगे की शिक्षा उन्होंने इंग्लंड की यूनिवर्सिटी ऑफ केब्रिज में प्राप्त की। यही उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में फस्र्ट क्लास ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1962 में आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की न्यू फिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में पी-एच.डी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी और प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकानामिक्स में काम किया। इन अनुभवों के कारण उन्हें 1987 में जिनेवा में साउथ कमिशन में सेक्रेटरी जनरल के रूप में काम करने का अवसर मिला। 1971 में  डॉ. मनमोहन सिंह केंद्र के वाणिज्य विभाग में आर्थिक सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएं दी। इसके बाद 1952 में वे वित्त विभाग में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने। इसके बाद वित्त सचिव, योजना आयोग के अध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर जनरल, प्रधानमंत्री के सलाहकार और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन के अध्यक्ष का भी पद संभाला।
पलनीयचप्पन चिदम्बरम
इनका सेवाकाल 31 जुलाई 2012 से अभी तक, 22 मई 2004 से 30 नवम्बर 2008, 1 मई 1997 से 19 मार्च 1998, 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक। शिक्षा, मद्रास यूनिवर्सिटी से बीएससी, बीएल, एमबीए के बाद बोस्टन की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भी अध्ययन किया। चिदम्बरम ने मद्रास क्रिश्चियन हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षा लेने के बाद लोयोला कॉलेज से प्री-यूनिवर्सिटी डिग्री प्राप्त की थी। चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में स्टेटीक्स विषय में बीएससी की डिग्री लेने के बाद उन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज, जिसे अभी डॉ. अंबेडकर गवर्मेट लॉ कॉलेज के नाम से जाना जाता है, में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की।  1984 में वे सीनियर एडवोकेट बने। उन्होंने देश की विभिन्न हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में कानूनी प्रेक्टिस की और चेन्नई तथा दिल्ली में अपना कार्यालय भी खोला।
प्रणव मुखर्जी
सेवा का कार्यकाल 24 जनवरी 2009 से 25 जून 2012, 15 जनवरी 1982 सं 31 दिसम्बर 1984। प्रणब मुखर्जी ने वीरभूम जिले के सूरी क्षेत्र से सूरी विद्यासागर कॉलेज में पढ़ाई की। वे राजनीति शास्त्र और हिस्टी में मास्टर्स डिग्री रखते हैं। कलकत्ता यूनिवर्सिटी से उन्होंने एलएलबी की डिग्री भी उन्होंने प्राप्त की है। राजनीति में आने के पहले वे कलकत्ता में डाकतार विभाग में डिप्टी एकाउंट जनरल के कार्यालय में अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में भी काम किया है। 1963 में उन्होंने दक्षिण 24 परगना क्षेऋ की विद्यानगर कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। इसके साथ-साथ उन्होंने देशेर डाक नामक बंगला अखबार के लिए पत्रकारिता भी की। इसके बाद वे खुलकर राजनीति में आए।
यशवंत सिन्हा
सेवाकाल: 19 मार्च 1998 से 1 जुलाई 2002,  10 नवम्बर 1990 से 21 जून 1991। यशवंत सिन्हा ने 1957 में राजनीति शास्त्र में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। 1971 से 1073 में जर्मनी के बोन शहर में भारतीय दूतावास के फस्र्ट सेकेट्ररी कर्मिशियल थे।1973-74 के दौरान उन्हें फ्रेंकफर्ट में काउंसर जनरल ऑफ इंडिया के रूप में काम किया। इसके बाद बिहार में सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रीयल इंफ्रांस्टक्चर में काम किया। इसके अलावा केंद्र के उद्योग विभाग में हरकर विदेशी औद्योगिक संबंधों, तकनीकी आयातों, इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी राइट्स और इंडस्ट्रीयल एप्रूवल का काम संभाला। 1980 से 1984 तक केंद्र के सरफेस ट्रांसपोर्ट विभाग के सहसचिव के रूप में काम किया।
जसवंत सिंह
सेवाकाल: 1 जलाई 2002 से 22 मई 2004 और 15 मई 1995 से 1 जून 1996। जसवंत सिंह ने अपना कैरियर सेना से शुरू किय था। साथ-साथ डिफेंस सर्विस इंस्टीट्यूट, इंस्टीट्यूट आफ डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज तथा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्टट्रेजिक स्टडीज, लंदन के साथ भी जुड़े रहे। 1960 के दशक में वे भारतीय सेना के अधिकारी थे। इसके अलावा मेघो कॉलेज तथा खड़कवासला में स्थित नेशनल डिफेंस अकादमी में भी बड़े पद पर रह चुके हैं।
डॉ. महेश परिमल

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