शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

कपिल सिब्बल का सपना ‘आकाश’ जमीन पर

डॉ. महेश परिमल
चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। अब तमाम सरकारें लोक-लुभावन नारों के साथ-साथ वादों की खोज में हैं। आज का युवा नई टेक्नालॉजी पर ध्यान देता है, इसलिए सरकार यह सोच रही है कि युवाओं को आकर्षित करने के लिए उन्हें लेपटॉप दिया जाए, ताकि वे अपना कीमती वोट उस सरकार को दें। चूंकि अब युवा ही तमाम पार्टियों के वोट-बैंक हैं, इसलिए उन्हें लुभाने के लिए कुछ न कुछ ऐसा तो करना ही होगा, जिससे उनके वोट प्राप्त किए जा सकें । वैसे उत्तर प्रदेश में युवाओं को लेपटॉप देने का वादा किया गया था, लेपटॉप युवाओं को मिल भी गए हैं, पर वह पुरानी तकनीक का होने के कारण उतना लोकप्रिय नहीं हो पाया है। यह लेपटॉप उन्हें मुफ्त में मिला है, इसलिए उसे उन्होंने रख लिया है, पर उसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। वैसे केंद्र सरकार की आकाश की पहली योजना तो धराशायी हो गई। इसके बाद कपिल सिब्बल ने इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया। उसके बाद आकाश 2 योजना लाई गई, यह भी टॉय-टॉय फिस्स हो गई। अब चुनाव को देखते हु सरकार आकाश 4 ला रही है। निश्चित रूप से यह योजना युवाओं को लुभाने में कामयाब होगी। पर रोज की बदलती तकनीक को देखते हुए यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि पिछली दो गलतियों से सरकार कुछ सीखेगी। पिछले प्रोजेक्ट में कहां गलती रह गई, यह जाने और सोचे बिना सरकार ने आकाश 4 ला रही है। यदि इसमें भी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल किया गया, तो यह योजना भी फ्लाप होगी।
सरकार को सबसे पहले उलझन फरवरी 2012 में हुई, जब उसका बहु प्रतीक्षित प्रोजेक्ट आकाश जमीन पर आ गिरा था। कहा जाता है कि हारा हुआ पुजारी दोगुनी दौलत लगाता है, ठीक उसी तरह सरकार जल्दबाजी में आकाश 2 ले आई। इसके लिए यह घोषणा की कि लोगों को सस्ते दामों में आकाश लेपटॉप दिया जाएगा। इस योजना का क्या हुआ, इसे जाने बिना सरकार ने अब आकाश 4 ला रही है। सरकार को शायद यह पता नहीं है कि फरवरी 2012 और नवम्बर 2013 तक टेक्नालॉजी ने बहुत से पड़ाव तय कर लिए हैं। यदि आकाश 4 पुरानी तकनीक का होता है, तो इसे जमीन पर आने में देर नहीं लगेगी। अभी तो आकाश 4 किसी के हाथ में नहीं आया है, जब आएगा, तब यदि उसकी क्षमता की जानकारी होगी। इस दौरान सपा ने विधानसभा चुनाव में किए गए वादे के अनुसार उत्तर प्रदेश के कॉलेज के विद्यार्थियों को लेपटॉप का वितरण कर दिया है। जिनके पास ये लेपटॉप हैं, वे आकाश 4 नहीं लेना चाहेंगे, क्योंकि उसके लिए उन्हें तीन हजार रुपए का भुगतान करना होगा। विश्व का सबसे सस्ता लेपटॉप देने की यूपीए सरकार की इस योजना से लोग चौंक उठे थे। जब पहली बार इस आशय की घोषणा हुर्ह, तब सभी को आश्चर्य हुआ, बाद में पता चला कि यह आई टी मिनिस्टर कपिल सिब्बल का ड्रीम प्रोजेक्ट है। बाद में सिब्बल का यह सपना चकनाचूर हो गया। सरकार की भी फजीहत हुई, सो अलग।
जब आकाश 2 लोगोंे के सामने आया, तो सभी लेपटॉप में रिजोल्यूशन की समस्या देखी गई। स्क्रीन में भी कोई खास बदलाव किया गया हो, ऐसा नहीं लगा। सरकार अपना यह ड्रीम प्रोजेक्ट छोड़ना नहीं चाहती, इसलिए उसने आकाश 4 के लिए कमर कसी है। केटावींड द्वारा तैयार हुए आकाश को जब खुले रूप में बेचना शुरू किया गया, तब उसका नाम ड्ढद्ब ह्यद्यड्डह्लद्ग ७ष्द्ब था था, इसकी कीमत 3099 रखी गई थी। विद्यार्थियों को सस्ते में टेबलेट देना सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। परंतु टेबलेट के बाजार में नित नई तकनीक के टेबलेट रोज ही आ रहे हैं। इस तरह से देखा जाए, तो आकाश 4 को आने में काफी देर हो गई है। इस प्रोजेक्ट को काफी पहले आ जाना था। सरकार जो आकाश 4 बनाना चाहती है, उसका मूल प्रोजेक्ट इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी के पास से आईआईटी मुम्बई को सौंपा गया है। आकाश 4 बनाने वाले इस समय ई-कांटेक्ट बनाने में व्यस्त हैं। नए आकाश में स्टूडेंट-टीचर इंटर एक्शन एप्लीकेशन, एजुकेशन क्वीज आदि पी लोडेड करके दिए जाएंगे। लेक्चर वीडियो और प्रेजेंटेशन के लिए भी टूल्स एसडी कार्ड के साथ तैयार किया जाएंगे। आकाश प्रोग्राम  लेब में ष्ट, ष्टष्ट+ क्क4ह्लद्धoठ्ठ और विज्ञान के प्रयोगों के  लिए द्ग3श्चश्वङ्घश्वस् भी देखा जा सके, ऐसी तकनीक उपलब्ध कराई जाएगी। आकाश वन और आकाश टू के फ्लॉप शो की तरह आकाश 4 का भी हश्र हो, यह सरकार नहीं चाहती। इसलिए सरकार ग्लोबल टेंडर का आयोजन करेगी और इसकी घोषणा कब करनी है, यह भी बताएगी। आकाश 4 के स्पेशीफिकेशन के लिए घोषणा हो चुकी है। शुरुआती ऑर्डर 50 से 60 हजार टेबलेट का होगा।
2014 के लोकसभा चुनाव की घोषणा के पहले आकाश 4 की घोषणा हो जाएगी। सरकार मुफ्त में मोबाइल देने के फिराक में है। इसके बाद सस्ता टेबलेट देने की योजना है। सरकार इसे चुनावी मुद्दा भी बना सकती है। सरकार को भले ही टेबलेट 4 के लिए खुशी हो, पर लोग सस्ते में सरकारी टेबलेट पर विश्वास करने को तैयार नहीं हैं। भूतकाल में आकाश टेबलेट खरीदने में जल्दबाजी करने वाले अभी तक पछता रहे हैं। आज लोग परफेक्ट टेबलेट पर विश्वास करते हैं। उसके लिए खर्च करने को भी तैयार हैं, परंतु सरकार सस्ते के नाम पर आऊट डेटेड टेक्नालॉजी अपना रही है, ऐसा प्रजा मानती है। सरकार के टेबलेट से यदि सरकारी शब्द हट जाए, तो कुछ लाभ हो सकता है। पर सरकार कम काम करके अधिक श्रेय लेना चाहती है, इसलिए मामला गड़बड़ा जाता है। सरकार की नीयत साफ हो, तो वह ऐसे टेबलेट बनाए, जो अत्याधुनिक हों और उसे आज के टेबलेट के साथ मुकाबला करने के लिए खड़ा किया जाए, तो इसे उसकी उपलब्धि कहा जाएगा। पर सरकार के सारे काम चुनाव लक्षित होते हैं, इसलिए लोग उसकी नीयत समझ जाते हैं। सरकार जितना धन टेबलेट देने के प्रचार-प्रसार में लगाती है, यदि उसका आधा हिस्सा भी टेबलेट की गुणवत्ता में लगा दे, तो वह चीज आऊट डेटेड नहीं होगी। पर सरकार को कौन समझाए?
  डॉ. महेश परिमल

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