शनिवार, 30 अप्रैल 2016

अकबर- बीरबल की कहानी - 1

बीरबल की चतुराई के किस्से तो संसार में प्रसिद्ध्‍ हैं ही। यहाँ उनका ही एक क‍िस्सा बताया जा रहा है... एक बार एक अजनबी व्यक्ति बादशाह अकबर के दरबार में आया और बादशाह के सम्मान में झुककर उसने कहा, ”जहांपनाह! मैं बहुत सारी भाषाओं में बात कर लेता हूं। मैं आपकी बहुत अच्छी सेवा कर सकता हूं, यदि आप मुझे अपने दरबार में मंत्रियों में शामिल कर लें।“ बदशाह ने उस व्यक्ति की परीक्षा लेने का निश्चय किया। उसने अपने मंत्रियों को उस आदमी से विभिन्न भाषाओं में बात करने को कहा। अकबर के दरबार में अलग-अलग राज्यों के लोग रहते थे। हर किसी ने उससे अलग-अलग भाषा में बात की। प्रत्येक मंत्री जो आगे आकर उससे अपनी भाषा में बात करता, वह व्यक्ति उसी भाषा में उत्तर देता था। सारे दरबारी उस व्यक्ति की भाषा कौशल की तारीफ करने लगे। अकबर उससे बहुत प्रभावित हुआ। उसने उसे अपना मंत्री बनने की पेशकश की। किन्तु व्यक्ति ने कहा, ”मेरे मालिक! मैंने आज कई भाषाओं में बात की। क्या आपके दरबार में कोई है, जो मेरी मातृभाषा बता सके।“ कई मंत्रियों ने उसकी मातृभाषा बताने की कोशिश की, परंतु असफल रहे। वह व्यक्ति मंत्रियों पर हंसने लगा। उसने कहा, ”मैंने यहां के बारे में सुना है कि इस राज्य में बुद्धिमान मंत्री रहते हैं। किंतु मुझे लगता है कि मैंने गलत सुना है।“ अकबर को बहुत शर्मिदंगी हुई। वह बीरबल की ओर सहायता के लिए देखने लगा। उसने बीरबल से कहा, ”कृपया मुझे इस अपमान से बचाने के लिए कुछ करो।“ बीरबल ने उस व्यक्ति से कहा, ”मेरे दोस्त! आप थके लग रहे हैं। आपने निश्चय ही यहां दरबार तक आने में बहुत लंबा रास्ता तय किया है। कृप्या आज आप आराम करें। मैं कल सुबह आपके प्रश्न का जवाब दे दूंगा।“ वास्तव में व्यक्ति बहुत थका हुआ था। उसने बादशाह से जाने की आज्ञा ली और चल दिया। उसने स्वादिष्ट खाना खाया और शाही अतिथि कक्ष में आराम करने चला गया। सभी मंत्रियों के जाने के बाद अकबर ने बीरबल से कहा, ”तुम इस व्यक्ति के प्रश्न का उत्तर कैसे दोगे?“ बीरबल ने कहा, ”जहांपनाह! चिंता नहीं करें। मेरे पास एक योजना है।“ उस रात जब महल में हर कोई गहरी नींद में सो रहा था, तब बीरबल ने काला कम्बल अपने चारों ओर लपेटा और चुपके से अजनबी व्यक्ति के कक्ष में गया। बीरबल ने घास की टहनी से व्यक्ति के कान में गुदगुदी की। व्यक्ति तुरंत उठ गया। किंतु जब उसने अंधेरे में काले शरीर वाला देखा तो उसने सोचा कि वह भूत है। उसने उडि़या भाषा में चिल्लाना शुरू कर दिया, ”हे भगवान जगन्नाथ, मुझे बचाओ! मुझ पर भूत ने हमला कर दिया है।“ अचानक बादशाह ने अपने मंत्रियों सहित कक्ष में प्रवेश किया। बीरबल ने कम्बल को फ़र्श पर फेंक दिया और कमरे में प्रकाश कर दिया। उसने व्यक्ति से कहा, ”तो तुम उड़ीसा निवासी हो और तुम्हारी मातृभाषा उडि़या है। मैं सही कह रहा हूं ना,“ व्यक्ति ने बीरबल से कहा कि वह सही है। अकबर ने कहा, ”एक आदमी चाहे कितनी भी भाषाएं बोल ले, लेकिन वह जब डरता है तो अपनी मातृभाषा में ही चिल्लाता है।“ बीरबल ने पहेली को हल कर दिया। अकबर ने उसकी चतुराई के लिए उसकी प्रशंसा की। इस कहानी का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...

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