मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

वो लड़की - डॉ. शरद ठाकर

डॉक्टर शरद ठाकर एक गायनेकोलॉजिस्ट होने के साथ-साथ कलम के धनी भी हैं। गुजरात के पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कलम चलती है और क्या खूब चलती है। उन्हें एक साहित्यकार एवं कहानीकार के रूप में घर-घर में पहचाना जाता है। विशेषकर महिलाओं के तो वे प्रिय लेखक हैंं। उनकी इस कहानी को पढ़ते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है। आप भी इनकी लेखनी से परिचित होकर प्रसन्नता अनुभव करेंगे। ऐसा मेरा विश्वास है। कहानी का कुछ अंश.... सत्तर के दशक की शुरुआत की एक घटना है. पुराने अहमदाबाद के मध्य क्षेत्र में आने वाले एक प्रख्यात नर्सिंग होम के सामने एक फिएट गाड़ी आकर खड़ी हुई. उसमें से पाँच-सात लोगों का एक परिवार निकलकर नर्सिंग होम में दाखिल हुआ. शाम का समय था. लेडी गायनेकोलाजिस्ट डॉ. विपाशा शाह अपना काम पूरा करने ही वाली थी. वैसे ही एकाएक यह इमरजेंसी केस आ गया. डॉक्टर, ये मेरी बिटिया है, इसके पेट में गैस का गोला है, काफी पीड़ा हो रही है, कृपया इसका इलाज कर देंगे, तो मेहरबानी होगी. डॉ. शाह उस युवती की जाँच करने के लिए दूसरे कमरे में गई. दस मिनट बाद वह नेपकीन से अपना हाथ पोंछते हुए बाहर आई और कहा- पेट में बच्चा है, पूरे महीने का. गैस का गोला नहीं है. युवती का पिता घबरा गया- अरे! डॉक्टर साहब एक बार फिर जांच कर लीजिए. मुझे विश्वास है कि उसके पेट में गैस का गोला ही होगा, क्योंकि मेरी बेटी तो अभी तक कुँवारी ही है. डॉक्टर हँस पड़ी और कहा- भाई! मैं अपने प्रत्येक मरीज को ध्यान से ही देखती हूँ, मुझसे गलती नहीं हुई है, मैं उस मासूम की हृदय की धड़कन सुन कर आ रही हूँ. आपकी बेटी को पूरे नौ माह का गर्भ है. फिर यह पीड़ा कैसी मेरी सुमी को? यह प्रसव पीड़ा है. मैं हतप्रभ हूँ कि आपकी बेटी ने इतनी बड़ी बात को इतने समय तक कैसे छिपाए रखा. क्या उसकी माँ को भी इसकी भनक नहीं लग पाई? कहने को तो डॉ. शाह ने यह कह दिया. पर वह यह अच्छे से जानती थी कि बेटियाँ अक्सर माँ से यह बात छिपा लेती हैं. अपने इतने वर्षों के डॉक्टरी अनुभवों के आधार पर उसने ऐसे कई केस देखे हैं. जिसमें बेटी ने अपनी माँ से पेट में पल रहे शिशु की बात छिपा ली थी. क्योंकि वह जानती थी कि पुलिस के बजाए चोर अधिक चालाक होता है. तो अब क्या करना है? 'ऑपरेशनÓ डॉ. शाह ने खुलासा किया. बच्चा बड़ा है और गर्भाशय का मुँह छोटा है. इसलिए नार्मल डिलीवरी होने की कोई संभावना नहीं है. युवती के साथ आए सभी परिजन इस बात पर सहमत हुए और ऑपरेशन की तैयारी शुरू हो गई. कुछ समय के बाद डॉ. शाह ऑपरेशन रूम से बाहर निकली और बेटी होने की खुशखबरी सुनाई- आप सभी के लिए अच्छी खबर है, ऑपरेशन सफल रहा और माँ-बेटी दोनों स्वस्थ हैं. समय पर यदि ऑपरेशन न किया गया होता, तो बच्ची पेट में ही मर जाती. सभी के चेहरों पर एक तनाव आ गया. तो अब आप उस बच्ची को खतम कर दें. मतलब? डॉ. शाह ने आँखें तरेरकर पूछा. आप समझ क्यों नहीं रहीं हैं डॉक्टर. हमारी सुमी कँँुवारी है. उसकी संतान यानी पाप की गठरी है. यह कोई मिठाई बाँटने का अवसर नहीं है. उस बच्ची को तो मरना ही है. तो क्यों न आप ही यह काम कर देती. अगर आप नहीं करेंगी तो हमें ही वह नेक काम करना पड़ेगा. आगे की कहानी जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...

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