गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

कुछ कविताएँ - सुशांत सुप्रिय

कविता का कुछ अंश... सूरज चमको न अँधकार भरे दिलों में चमको न सूरज उदासी भरे बिलों में सूरज चमको न डबडबाई आँखों पर चमको न सूरज गीली पाँखों पर सूरज चमको न बीमार शहर पर चमको न सूरज आर्द्र पहर पर सूरज चमको न अफ़ग़ानिस्तान की अंतहीन रात पर चमको न सूरज बुझे सीरिया और ईराक़ पर जगमगाते पल के लिए अरुणाई भरे कल के लिए सूरज चमको न आज ऐसी ही अन्य मर्मस्पर्शी कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...

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