शनिवार, 7 मई 2016

एन. रघुरामन - जीने की कला - 2

लेख का अंश... हमारे वर्षों पुराने बिजनेस कुल्‍फी वाले और चूरण वाले की माँग अभी भी है, लेकिन आधुनिक स्‍वरूप में। इसके लिए चाहिए आधुनिक गेजेटस, वाहन, स्‍वच्‍छता और सेवाओं का अच्‍छा स्‍तर ताकि बिजनेस को एक नए स्‍तर तक ले जाया जा सके। आधुनिक जीवन में सभी सुविधाओं के साथ अपनी आवश्‍यकताओं की पूर्ति करना चाहते हैं। भागती-दौड़ती जिंदगी में जहाँँ खाने तक की फुरसत नहीं है, तो खाना कब बनाया जाए। ऐसे में यदि उन्‍हें बना-बनाया खानाा और वह भी अपनीी पसंद का घर के बाहर कदम रखते ही, कॉलबेज बजाकर अपने घर के सामने ही पलभर में उपलब्‍ध हो जाए, तो यह उनके लिए तो खुशकिस्‍मती होगी ही, साथ ही इस तरह का बिजनेस करनेवाले लोगों के लिए भी फायदेमंद होगा। इसी आवश्‍यकता और फायदे को ध्‍यान में रखते हुए कुछ नए रूप में ही पुराने बिजनेस को लाने की आवश्‍यकता है। जिसने इस बात को समझा, सफलता उसके दरवाजे पर आ खड़ी हुई, सुबह के उगते सूरज के स्‍वर्णिम उजाले की तरह गुनगुनाती हुई और मुस्‍कराती हुई... लेकिन क्‍या ये संभव है, यदि हाँ, तो किसतरह से... वो आप स्‍वयं इस ऑडियो की मदद से जान लीजिए...

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