रविवार, 15 मई 2016

लघुकथाएँँ - जीवन दर्शन - 5

जीवन इंद्रधनुषी रंगों से सजा हुआ है। इसमें कई तरह के रंग होते हैं। सुख के रंग, दुख के रंग, खुशियों के रंग, गम के रंग, दर्द के रंग, गुस्‍से के रंग, संवेदनाओं के रंग, रिश्‍तों के रंग और इस तरह से अनेक रंगों से इंद्रधनुषी बनी ये जिंदगी खुद भी रंगीली हो जाती है। मगर हम दुख में डूबकर जीवन का एक ही रंग देखते हैं और उदास, निराश व हताशा का गहरा काला या बिलकुल श्‍वेत सपाट रंग अपने आसपास समेट लेते हैं। ऐसे में हमारे स्‍वयं के लिए जीवन एक भार हो जाताा है। कहा भी गया है कि जीवन ऐसे जीयो क‍ि मरने के बाद भी दुनिया हमें याद रखेें। तो इसके लिए तो प्रयास स्‍वयं को ही करना होता है। किसी और को तो केवल माध्‍यम ही बनाया जा सकता है, पर पूरा का पूरा प्रयास तो स्‍वयं की दृढ इच्‍छा शक्ति से ही होता है। ये प्रेरक लघुकथाएँँ जीवनदर्शन की कुछ ऐसी ही शिक्षा दे रही हैं। तो आनंद लीजिए ऑडियो के माध्‍यम से इन प्रेरणादायक लघुकथाओं का...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Labels