शुक्रवार, 20 मई 2016

बाल कहानी - बंदर की सीख

कहानी का अंश... बंदरों का सरदार अपने बच्चे के साथ किसी बड़े से पेड़ की डाली पर बैठा हुआ था। बच्चा बोला , ” मुझे भूख लगी है , क्या आप मुझे खाने के लिए कुछ पत्तियां दे सकते हैं ?” Inspirational Monkey Story in Hindiबन्दर मुस्कुराया, ” मैं दे तो सकता हूँ, पर अच्छा होगा तुम खुद ही अपने लिए पत्तियां तोड़ लो। “ ” लेकिन मुझे अच्छी पत्तियों की पहचान नहीं है.”, बच्चा उदास होते हुए बोला। “तुम्हारे पास एक विकल्प है, ” बन्दर बोला, ” इस पेड़ को देखो, तुम चाहो तो नीचे की डालियों से पुरानी – कड़ी पत्तियां चुन सकते हो या ऊपर की पतली डालियों पर उगी ताज़ी -नरम पत्तियां तोड़ कर खा सकते हो।” बच्चा बोला, ” ये ठीक नहीं है, भला ये अच्छी – अच्छी पत्तियां नीचे क्यों नहीं उग सकतीं , ताकि सभी लोग आसानी से उन्हें खा सकें।?” “यही तो बात है , अगर वे सबके पहुँच में होतीं तो उनकी उपलब्धता कहाँ हो पाती … उनके बढ़ने से पहले ही उन्हें तोड़ कर खा लिया जाता !”, ” बन्दर ने समझाया। ” लेकिन इन पतली डालियों पर चढ़ना खतरनाक हो सकता है , डाल टूट सकती है , मेरा पाँव फिसल सकता है , मैं नीचे गिर कर चोटिल हो सकता हूँ …”, बच्चे ने अपनी चिंता जताई। बन्दर बोला , “सुनो बेटा , एक बात हमेशा याद रखो , हम अपने दिमाग में खतरे की जो तस्वीर बनाते हैं अक्सर खतरा उससे कहीं कम होता है।“ “पर ऐसा है तो हर एक बन्दर उन डालियों से ताज़ी पत्तियां तोड़कर क्यों नहीं खाता ?” बच्चे ने पूूछा। आगे क्‍या हुआ, यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...

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