गुरुवार, 5 मई 2016

गुजराती वार्ता - प्रशांत दयाल

कहानी के बारे मे... दिव्‍यदृष्टि के श्रव्‍यसंसार में हम लेकर आए हैं, गुजराती लेखक प्रशांत दयाल की पुस्‍तक 'जीवती वारता' में से एक गुजराती कहानी। नन्‍हें पंछियों के पंख तो छोटे होते हैं, लेकिन उनके हौसलों की उड़ान काफी ऊँँची होती है। उनका साहस, आत्‍म विश्‍वास इतना अधिक होता है, कि वे अासमान छूने की तमन्‍ना रखते हैं और इसके लिए प्रयत्‍नशील रह‍ते हैं। यहाँँ नन्‍हें पंछियों से आशय छोटे बच्‍चाें से हैं, जो कुछ कर गुजरने का जज्‍बा रखते हैं और माता-पिता भी उनका साथ देते हैं। या फिर ऐसा कह लें कि माता-पिता अपने लाडले को कुछ बनाने की महात्‍वाकांक्षा रखते हैं और बच्‍च्‍ोो उनका साथ देते हैं। गरीबी समस्‍या जरूर बनती है, पर रूकावट नहीं, हौसलों की ऊँँची उड़ान के आगे यह भी एक पल को दूर हट जाती है और रास्‍ता दे देती है। कुछ कर गुजरने की इच्‍छा और बलशाली हो जाती है। गुजरात के अहमदाबाद शहर की एक सच्‍चीी घटना को प्रशांत दयाल ने अपनी कहानी में स्‍थान उजागर किया है। वही कहानी गुजराती भाषा के माध्‍यम से हम अपने गुजराती श्रोताओं तक पहुँँचाने का एक अभिनव प्रयास कर रहे हैं। यद‍ि आप भी गुजराती भाषा की समझ रखते हैं, तो इस कहानी का एक बार आनंद जरूर लीजिए...

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