शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

बाल कविताएँ - जितेश कुमार

कविता का अंश...देश में अपनी ऋतुएँ छह, सबकी खुशबू अलग तरह। बजाए कुदरत गाजा-बाजा, समझो आया बसंत राजा। तन पे पसीना, मुश्किल जीना, आई गर्मी, शिकंजी पीना। आया बादल, बरखा पानी, धरती हरी है, वर्षा रानी। निकला स्वेटर, सब थर-थर, शरद् बसाया अपना घर। ठंड है अपने चरम रूप में, आया हेमंत, बैठा धूप में। गुलाबी मौसम लगता फिर, हँसती आई ऋतु शिशिर। भारत की धरती है न्यारी, फिर-फिर आतीं ऋतुएँ सारी। ऐसी ही अन्य बाल कविताओं का आनंद सुनकर लीजिए...

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