सोमवार, 4 जुलाई 2016

बाल कविताएँ - डॉ. महेन्द्र भटनागर

कविता का अंश...सर-सर करती चले हवा पानी बरसे झम-झम-झम ! आगे-आगे गरमी भागे हँस-हँस गाने गाएँ हम ! सर-सर करती चले हवा पानी बरसे झम-झम-झम मेंढक बोल पंछी ड़ोल बादल गरजें; जैसे बम ! सर-सर करती चले हवा पानी बरसे झम-झम-झम ! नाव चलाएँ खूब नहाएँ आओ कूदें धम्मक - धम ! सर-सर करती चले हवा पानी बरसे झम-झम-झम ! ऐसी ही अन्य बाल कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए... सम्पर्क - drmbhatnagargwl@rediffmail.com

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