शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

बाल कहानी - विवाह समस्या

कहानी का अंश… वीरसत्व हेलापुरी के एक संपन्न निवासी थे। उनका एक ही पुत्र था। जो बड़ा ही सज्जन, चतुर और आकर्षक था। वीरसत्व उसी प्रकार एक सुंदर, सुशील और काम-काज में दक्ष पुत्र-वधु की खोज में थे। इसके लिए उन्होंने अपने दोस्तों और जान-पहचान के लोगों की लड़कियों को स्वयं देखा। कुछ लड़कियाँ सुशील, चतुर तो थी परन्तु सुन्दर नहीं थी। यदि सुन्दर लड़कियाँ देखी तो उनकी बुद्धि नहीं के बराबर थी। उनकी समझ में नहीं आया कि क्या किया जाए? पुत्र का विवाह वीरसत्व के लिए एक गंभीर समस्या बन गया। एक दिन रामचंद्र नामक उनका एक संबंधी उनके घर आया। वीरसत्व ने उन्हें भी अपने बेटे की विवाह समस्या बताई और कहा कि - मैंने सोचा था कि इस विषय में कोई समस्या नहीं होगी। सब कार्य आसानी से हो जाएगा। परन्तु कोई उपाय ही नहीं सूझ रहा है। मैं बहुत परेशान हूँ। कहीं ऐसा तो नहीं कि निर्णय लेने में मुझसे कोई भूल हो रही हो? रामचंद्र थोड़ी देर तक सोचते रहे और फिर कहा - लड़के या लड़की को देखकर हम आसानी से इस बात का पता लगा लेते हैं कि वे सुंदर हैं या नहीं? वे स्वस्थ हैं या नहीं? किन्तु उनकी बुद्धि का अनुमान लगाना चाहते हैं तो यह उनकी बातों या कार्यों को देख-सुनकर ही पता लगाया जा सकता है। संभवत: तुमने भी रूप देखकर और कुछ प्रश्न पूछकर ही भूल की है। जिसके कारण तुम्हें एक योग्य बहू खोजने में परेशानी हो रही है। वीरसत्व ने रामचंद्र की बातों की वास्तविकता को स्वीकार किया। फिर रामचंद्र ने उसे एक उपाय बताया। क्या था वह उपाय? क्या उस उपाय से वीरसत्व को कुछ लाभ हुआ? उसे अपने पुत्र के लिए एक योग्य कन्या मिली? इन सारी जिज्ञासाओं के समाधान के लिए ऑडियो की सहायता लीजिए और आगे की कहानी जानिए ऑडियो की मदद से…

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