बुधवार, 6 जुलाई 2016

कविता - टेसू राजा अड़े खड़े - रामधारी सिंह ‘दिनकर’

टेसू राजा अड़े खड़े... कविता का अंश...
टेसू राजा अड़े खड़े माँग रहे हैं दही बड़े। बड़े कहाँ से लाऊँ मैं? पहले खेत खुदाऊँ मैं, उसमें उड़द उगाऊँ मैं, फसल काट घर लाऊँ मैं। छान फटक रखवाऊँ मैं, फिर पिट्ठी पिसवाऊँ मैं, चूल्हा फूँक जलाऊँ मैं, कड़ाही में डलवाऊँ मैं, तलवार सिकवाऊँ मैं। फिर पानी में डाल उन्हें, मैं लूँ खूब निचोड़ उन्हें। निचुड़ जाएँ जब सबके सब, उन्हें दही में डालूँ तब। नमक मिरच छिड़काऊँ मैं, चाँदी वरक लगाऊँ मैं, चम्मच एक मँगाऊँ मैं, तब वह उन्हें खिलाऊँ मैं। कविता का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...

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