गुरुवार, 28 जुलाई 2016

बाल कविताएँ.... - ज्योत्स्ना शर्मा

कविता का अंश... 1 बड़ी सुहानी धूप खिली है किरन परी भी आ धमकी है कॉलगेट कर सूरज आया दाँतों की पंक्ति चमकी है। 2 मेरी पेंसिल प्यारी-प्यारी बातें करती कितनी न्यारी कहे ठीक से पकड़ो भैया और बनाओ तितली, गैया। 3 देखो पुस्तक कितनी अच्छी मुझे बताए बातें सच्ची दुनिया भर की सैर कराए फूल-फलों से जी ललचाए। 4 आई होली रंग कमाल, निकली टोली लिए गुलाल। पाँव छुए फिर सभी बड़ों के; किया साथियों संग धमाल॥ 5 मुँह रँगा है पीला-काला, ले पिचकारी रंग जब डाला। झूठ-मूठ अम्मा गुस्साईं; खिल-खिल करती भागी बाला॥ 6 सुबह सुहानी कितनी अच्छी झटपट सीखें बातें सच्ची पढ़ें लिखें और हों गुणवान अपना भारत रहे महान। 7 जब से देखो आया जाड़ा बढ़ा दिया सूरज ने भाड़ा थोड़ी –थोड़ी धूप दिखाता झट से कोहरे में छिप जाता। ऐसी ही अन्य छोटी-छोटी कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...

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