शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

कविताएँ - राजेंद्र प्रताप सिंह‘गौतम’

कविता का अंश... जिंदगी के पड़ाव.... वक्त के साये में बैठ, जिन्दगी के गुजरे पड़ाव बस गिनते रहे। साये बढ़ते रहे,पड़ाव घटते रहे । पकड़ना तो चाहा बहुत कुछ, पर हाथ खाली के खाली रहे। यादों के धुंधलके,झुरमुट में हसीन खुशियों के पल ढ़ूँढ़ता हूँ हॅंसने के लिए भले ही हो कम, मुस्कुरा के कुछ पल जी लेता हूॅं। उजली यादों को मेरे साथ चलने दो, पता नहीं कब गली में शाम हो जाए। दुआ करो आज की रात अच्छी गुजरे, कल की कल फिर सोचा करेंगे। वक्त के साये में बैठ, जिन्दगी के गुजरे पड़ाव ही बस गिना करेंगे। ऐसी ही भावपूर्ण कविता का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...

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