शनिवार, 17 सितंबर 2016

बाल कहानी – हम साथ साथ हैं !

कहानी का अंश... एक था चिड़ा और एक थी चिड़िया। चिड़ा लाता था चावल का दाना और चिड़िया लाती थी दाल का दाना। फिर दोनों मिलकर खिचड़ी पकाते और मजे ले-लेकर खाते। दोनों जंगल में आनंद से रहते थे। मगर जंगल में और भी जानवर थे। उन्हें चिड़े और चिड़िया का यह प्रेम भरा जीवन बिलकुल पसंद नहीं था। एक थी घूस। उनके पेड़ के नीचे बिल में रहती थी। एक दिन उसने चिड़े और चिड़िया को देख लिया कि वे दोनों खिचड़ी पकाकर मजे से खा रहे हैं। चिड़ा खिचड़ी खाकर सैर को चला गया, तब घूस निकलकर बाहर आई और वह चिड़िया से बोली – तूने इस चिड़े को बहुत सिर पर चढ़ा रखा है। मुआ एक चावल का दाना ही तो लाता है वह भी बिलकुल सफेद। और तू कितनी मेहनत से दाल का दाना लाती है। फिर पकाने में भी मेहनत तू ही सबसे ज्यादा करती है। फिर भी वह मुआ आधी से ज्यादा खिचड़ी खा जाता है। चिड़िया उस समय तो चुप रही। मगर यह बात उसके दिल में रह गई। फिर जब चिड़िया बाहर गई और चिड़ा घोंसले में ही रह गया तो घूस उससे बोली, चिड़े, तू भी निरा मूरख है। इतनी जरा-सी चिड़िया से दबता है। कितनी मेहनत करता है तू। चावल के दानों को अपने पंजे में लाता है। चावल जो एकदम सफेद होता है। और वह कलमुँही चिड़िया तो दाल का एक छोटा-सा दाना लाती है। अपने दाल के दानों की तरह काली भी है। जबकि तू तो एकदम गोरा है। भला काले और गोरे का भी क्या मुकाबला? थोड़ा रूककर बोली, और... सच तो यह है कि काले-गोरे की जोड़ी हमें फूटी आँखों नहीं सुहाती। यह भी कोई जोड़ी हुई? अगर दुनिया में ऐसा ही होने लगे तो सारी दुनिया का खाना खराब हो जाएगा। चिड़ा भी यह सुनकर उस वक्त तो चुप रहा लेकिन उसके दिल में भी घूस की बात पूरी तरह से बैठ गई। आगे क्या हुआ? क्या चिड़े और चिड़िया का प्रेम आपस में नफरत में बदल गया? या फिर और गाढ़ा हो गया? उन दोनों की मेहनत में प्यार का कितना भाग रहा? आगे चलकर वे दोनों किस तरह से एक-दूसरे के साथ रहे? घूस उन दोनों के बीच नफरत के बीज क्यों बो रही थी? उसके पीछे उसका क्या लाभ था? इन सारी जिज्ञासाओं के समाधान के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...

1 टिप्पणी:

Post Labels