बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

बाल कविताएँ - 1 - भारती परिमल

कविता का अंश... ढोल बाजे ढम ढम ढम भालू, बंदर, हिरन, हाथी नाचे छम छम छम बंदरिया ने पहनी पायल पायल बाजे झन झन झन। सरकस का जोकर आया, साथ में अपने बाँसुरी लाया। धुन में उसकी कोयल गाए, चिड़िया चहक-चहक इतराए। गीत उनके सबके मन भाए। लगी थिरकने चूँ चूँ चूहिया, घूमे लहँगा जैसे पहिया। सारे जानवर झूमते जाए, दिन सुहाने उनके आए। तभी पहुँचा जंगल का राजा, आँखें लाल हुई सुनकर बाजा। देता हूँ मैं सबको सजा, छीन लिया सोने का मजा। दहाड़ सुनकर वनराजा की, सिटटी-पिट्टी हो गई सबकी गुम, सीधी हो गई लहराती दुम। तभी हुआ एक अनोखा काम, शेर ने की ढीली गुस्से की लगाम। सबको खुश देखकर वह भी, गुस्सा अपना भूल गया, ढोल की थाप पर, वो खुशी से झूम गया। खुद ही बजाए ढोल ढम ढम ढम, नाचे सभी छम छम छम। ऐसी ही अन्य बाल कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...

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