मंगलवार, 4 अक्तूबर 2016

कविताएँ - 1 - अशोक अंजुम

कविता का अंश... पीड़ा का अनुवाद हैं आँसू, एक मौन संवाद हैं आँसू। दर्द, दर्द बस दर्द ही नहीं, कभी-कभी आह्लाद हैं आँसू। जबसे प्रेम धरा पर आया, तब से ही आबाद हैं आँसू। अब तक दिल में है हलचल-सी, मुझको उनके याद हैं आँसू। कभी परिंदे कटे-परों के, और कभी सैयाद हैं आँसू... इस अधूरी कविता के साथ अन्य कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...

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