गुरुवार, 13 अक्तूबर 2016

बाल कहानी – सापड़ सपड़ू

कहानी का अंश… सापड़ सपड़ू नाम का एक लड़का था। घर में एक वही था, जो पढ़ने जाता था। सापड़ सपड़ू और बच्चों के साथ रोज घर से स्कूल जाने के लिए निकलता पर बीच में खेलने के लिए रूक जाता। उसका खेल भी बड़ा मजेदार था। उसका खेल था – मिट्टी में लोटना, खुद पर मिट्टी डालना और उछालना। एक दिन सापड़ सपड़ू की माँ को बहुत तेज बुखार आया तो उसके पिता सापड़ सपड़ू को स्कूल से बुलाने गए। पर ये क्या? सापड़ सपड़ू तो बीच रास्ते में ही मिट्टी में लोटपोट करता मिल गया। उसके पिताजी बहुत गुस्सा हुए और उसे पकड़कर घर ले आए। उन्होंने कहा – कल से तेरा स्कूल जाना बंद। अब सापड़ सपड़ू का स्कूल जाना बंद हो गया। वह जानवर चराने के लिए जाने लगा। पर इससे उसका मिट्टी में खेलना बंद नहीं हुआ। वह अपनी खेल की जगह पहुँचकर जानवरों को छोड़ देता और खुद मिट्टी में लोटपोट करने लगता। एक दिन तेज बारिश आई। सापड़ सपड़ू जानवरो को लेकर घर आ गया लेकिन वह बारिश में पूरा भीग गया था। फिर वो दो-तीन दिन बाद जानवर चराने के लिए गया। जानवरों को छोड़कर वह खेलने की तैयारी करने लगा। लेकिन आज गाय, भैंस, बछड़ा-बछड़ी सभी उसके आसपास ही मँडराने लगे। ऐसा क्यों हुआ? यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Labels