सोमवार, 14 नवंबर 2016

बाल कहानी - स्वीटी को मिली सीख

स्वीटी को मिली सीख कहानी का अंश… एक थी शरारती लड़की। नाम था स्वीटी। उसकी शरारतों से घर के सभी लोग परेशान थे। मम्मी तो सबसे ज्यादा परेशान थी। आखिर छह साल की नन्हीं लड़की सभी की नकल करे और सबका मजाक उड़ाए, तो यह तो वास्तव में परेशानी की ही बात थी। मम्मी ने उसे प्यार से कितनी ही बार समझाया- बेटा, ऐसा नहीं करते। किसी की नकल करना अच्छी बात नहीं होती। लेकिन शरारती स्वीटी अपनी मम्मी की बात एक कान से सुनती और दूसरे से निकाल देती। वह हमेशा पापा के पेपर पढ़ने के तरीके, मम्मी की साड़ी पहनने का ढंग, दादाजी के बोलने, दादीजी के पूजा करने और चाचा के उठने-बैठने की नकल उतारती थी और बदले में सभी से डाँट भी खाती थी। स्वीटी को एक दूसरा शौक था- टी.वी. देखना। पापा समझाते हुए कहते – स्वीटी, ज्यादा समय तक टी.वी. नहीं देखते, अधिक पास से टी.वी. नहीं देखते, यह अच्छी बात नहीं है। स्वीटी जवाब देती – लेकिन पापा, कार्टून नेटवर्क तो मेरा सबसे प्यारा शो है। मुझे तो इसे देखना बहुत अच्छा लगता है। आप भी देखिए, आपको भी मजा आएगा। पापा को गुस्सा आ जाता वे कहते – तो फिर पढ़ोगी कब? तुम्हें बाहर खेलने जाना चाहिए। खेलने से शरीर की कसरत होती है। शरीर में स्फूर्ति आती है। दिन भर टी.वी. के सामने बैठे रहने से आँखे और शरीर दोनों ही खराब हो सकते हैं। स्वीटी पर न तो पापा की बातों का असर होता और न ही मम्मी की समझाइश का। बहुत हुआ तो पापा के घर में रहते समय वह होमवर्क कर लेती और फिर जैसे ही पापा घर से बाहर गए कि स्वीटी बैठ जाती टी.वी. के सामने। स्वीटी को घूमना भी अच्छा लगता था। आखिर स्वीटी की इन सभी बातों से घर के लोग परेशान हो गए थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि स्वीटी को सीख मिल गई? वह सुधर गई! यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए….

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