tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post1059712753938144148..comments2023-11-05T14:33:52.361+05:30Comments on संवेदनाओं के पंख / दिव्य-दृष्टि: डाक टिकटों से जुड़े नैतिक मूल्य..Dr. Mahesh Parimalhttp://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-68369842468855916912008-03-25T22:44:00.000+05:302008-03-25T22:44:00.000+05:30डा. महेश परिमल जी, इतनी समझ हमारे नेताओ को होती तो...डा. महेश परिमल जी, इतनी समझ हमारे नेताओ को होती तो (यानि वो सिक्के के दोनो पहलुओ पर गोर करती )हम आज दुनिया के सिर्मोर होते.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-43618320628575388782008-03-25T17:56:00.000+05:302008-03-25T17:56:00.000+05:30अजी साहब आपको गलत फ़हमी है,जिस से खुंदक निकालनी हो ...अजी साहब आपको गलत फ़हमी है,जिस से खुंदक निकालनी हो उसका फ़ोटो डाक टिकट पर छाप देते है..पता है ना डाक विभाग मे दनादन दनादन मोहरो से ठोका जायेगा..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-56658603306902340462008-03-25T15:08:00.001+05:302008-03-25T15:08:00.001+05:30आपकी टिप्पणियों के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद.आपकी टिप्पणियों के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद.Dr. Mahesh Parimalhttps://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-92153915556896864992008-03-25T13:49:00.000+05:302008-03-25T13:49:00.000+05:30bahut satik aur badhiya likha hai..bahut satik aur badhiya likha hai..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-75636468214248991512008-03-25T13:01:00.000+05:302008-03-25T13:01:00.000+05:30डाक टिकटों के बहाने नैतिकता और मानवीय संवेदना की अ...डाक टिकटों के बहाने नैतिकता और मानवीय संवेदना की अच्छी पड़ताल की है. लेकिन सवाल यह है कि आज राष्ट्रध्वज का ही कोई सम्मान नहीं रह गया है तो डाक टिकटों की भला क्या बात की जाए? एक और बात काबिल-ऐ-गौर है. वह यह कि ऐसे समय में जब महापुरुष भी जबरदस्ती बनाए जा रहे हैं, ऐसे लोग जिन्हें सौ में निन्यान्नाबे लोग देश या समाज की तरक्की में कोई श्रेय देने को तैयार नहीं है और उनके नाम पर सब कुछ हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि महापुरुशई भी खरीइदी जा जा रही है. टू कोई क्या करेगा?इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-75935492126168509382008-03-25T12:55:00.000+05:302008-03-25T12:55:00.000+05:30एकदम सटीक और दिल को छूने वाला विश्लेषण…एकदम सटीक और दिल को छूने वाला विश्लेषण…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.com