tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post173491764666129162..comments2023-11-05T14:33:52.361+05:30Comments on संवेदनाओं के पंख / दिव्य-दृष्टि: स्पीड, थ्रिल और पॉवर में उलझा युवाDr. Mahesh Parimalhttp://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-86064031046006445832008-04-04T13:54:00.000+05:302008-04-04T13:54:00.000+05:30महेश परिमल जी,हमारे जहां जब तक कानुन सख्त नही होते...महेश परिमल जी,हमारे जहां जब तक कानुन सख्त नही होते तब तक यह सब होता रहे गा, ओर कानुन सब के लिये सख्त हो तभी, गरीब तो वेसे ही पिस जाता हे,यह चोंचले राईस जादो के हे, जिन के लिये कानुन भारत मे तो हे नहीराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-47638785872026728282008-04-04T13:51:00.000+05:302008-04-04T13:51:00.000+05:30मुझे भी बाईक बहुत पसंद है.. कभी-कभी तेज भी चलाता ह...मुझे भी बाईक बहुत पसंद है.. कभी-कभी तेज भी चलाता हूं.. मगर जो भी करता हूं वो मर्यादा में रहकर ही.. ट्रैफिक वाले जगह पर तो कभी भी तेज नहीं चलाता हूं.. और कम से कम पिछले 7-8 सालों में अब तक कोई एक्सिडेंट मुझसे तो नहीं हुआ है..<BR/>वैसे दिल्ली से बाहर की बातें करें तो मुझे बैंगलूरू की जानकारी है.. वहां महात्मा गांधी मार्ग पर मैंने शाम के 6-7 बजे, जब ट्रैफिक अपने उफान पर होता है, उस समय शनिवार को कुछ बाईक राइडर्स को रेसिंग करते हुये भी देखा है.. वे सभी हायाबूसा या सीबीआर 1000 पर थे.. और बाद में सुना की वो हर सप्ताहांत पर ये करते हैं और पुलिस मूक दर्शक बन कर तमासा देखति है..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.com