tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post2205911869664871033..comments2023-11-05T14:33:52.361+05:30Comments on संवेदनाओं के पंख / दिव्य-दृष्टि: ओपन बुक एक्जाम : एक सफल प्रयोगDr. Mahesh Parimalhttp://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-81489961676647450312008-04-19T23:03:00.000+05:302008-04-19T23:03:00.000+05:30डॉ. महेश परिमल जी, मेने ऎसे पढे लिखो को देखा जिन्ह...डॉ. महेश परिमल जी, मेने ऎसे पढे लिखो को देखा जिन्हे शायद अकल उतनी नही जितनी बडी उन के पास डिगरी हे, क्या कारण हे बस रटा मार कर या नकल मार कर अच्छे नम्बरो मे पास हो गये,बाकी आप का लेख हमेशा की तरह से कुछ देने वाला ही हे, कुछ सोचने पर मजबुर करते हे..राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-51605346272677490302008-04-19T20:30:00.000+05:302008-04-19T20:30:00.000+05:30मैने सुना था कि इस दिशा में कुछ पहल की जा रही है भ...मैने सुना था कि इस दिशा में कुछ पहल की जा रही है भारत में भी मगर कहाँ-यह ज्ञात नहीं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com