tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post2952387276173272904..comments2023-11-05T14:33:52.361+05:30Comments on संवेदनाओं के पंख / दिव्य-दृष्टि: जेल वरदान है उन सबके लिएDr. Mahesh Parimalhttp://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-53782694465312802812009-06-10T17:46:04.374+05:302009-06-10T17:46:04.374+05:30मुझे पूरा विश्वास है कि यह पोस्ट हिन्दी ब्लॉग जगत ...मुझे पूरा विश्वास है कि यह पोस्ट हिन्दी ब्लॉग जगत के चंद ऐतिहासिक पोस्टों में सुमार होगा। बहुत खुशी हुई "संवेदनाओं के पंख ' पर आकर। इसलिए इसका लिंक मैं अपने ब्लॉग"दो पाटन के बीच'में दे रहा हूं। ऐसे पोस्टों की संख्या अगर बढ़ती रही तो आने वाले दिनों में ब्लॉग भी एक गंभीर रचनात्मक विधा बन सकती है।<br />सच में ये जेल न्याय शास्त्र की नयी परिभाषा गढ़ रहे हैं। मैं भी इस विचार का समर्थक हूं कि गुनाह खत्म होने चाहिए न की इंसान। सजा का मतलब सबक होना चाहिए न की मानव-उत्पीड़न। विडंबना यह है कि हम इस मामले में सदियों पुरानी परंपरा को ही ढो रहे हैं। आज न्याय शास्त्र पर सबसे कम अनुसंधान हो रहे हैं, जबकि अपराध शास्त्र पर अरबो-अरब रुपये फूंके जा रहे हैं। फिर भी अपराध नहीं घट रहे। किसी ने ठीक ही कहा है कि आखिरकार प्यार और करुणा ही इस दुनिया को बचायेंगे। <br />सुंदर, गंभीर और सकारात्मक लेखन के लिए बहुत-बहुत बधाई<br />रंजीतरंजीत/ Ranjithttps://www.blogger.com/profile/03530615413132609546noreply@blogger.com