tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post329008152469611756..comments2023-11-05T14:33:52.361+05:30Comments on संवेदनाओं के पंख / दिव्य-दृष्टि: पत्रकारों से सर पर मौत का कफनDr. Mahesh Parimalhttp://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-46137663459852193422008-02-29T19:57:00.000+05:302008-02-29T19:57:00.000+05:30परिमल भाई, अच्छा लगा देखकर कि आपकी ब्लॉगर पोस्ट की...परिमल भाई, अच्छा लगा देखकर कि आपकी ब्लॉगर पोस्ट की समस्या हल हो गई.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-14735981220227288652008-02-29T18:47:00.000+05:302008-02-29T18:47:00.000+05:30हां यह आज का सच है । पर इधर पूरी दुनियां में बढते ...हां यह आज का सच है । पर इधर पूरी दुनियां में बढते पत्रकारिता अध्ययनशालों की संख्या को देखकर हमारे जैसे सुविधाभोगी व्यक्तियों को तो लगता था कि क्रीम काम है ऐसे किताब व लेखों की समाज को आवश्यकता है ।<BR/><BR/>धन्यवाद ।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.com