tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post3291902506933967878..comments2023-11-05T14:33:52.361+05:30Comments on संवेदनाओं के पंख / दिव्य-दृष्टि: उम्मीद की किरण दिखती है जजों के फैसलों मेंDr. Mahesh Parimalhttp://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-35383754012826224372008-10-23T08:11:00.000+05:302008-10-23T08:11:00.000+05:30मीलों लम्बे रेगिस्तान की प्यास एक दो कुओं से नहीं ...मीलों लम्बे रेगिस्तान की प्यास एक दो कुओं से नहीं शांत हो सकती।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-55055817253905116862008-10-22T15:19:00.000+05:302008-10-22T15:19:00.000+05:30बड़ी सुंदर बात कही आपने......काश यह सचमुच हो पाए.इश...बड़ी सुंदर बात कही आपने......काश यह सचमुच हो पाए.इश्वर से प्रार्थना है कि वे सुसंस्कारी हाथों में सत्ता तथा न्याय की शक्ति दें ताकि वह समाज को बदलने में सकारात्मक कार्य कर पायें.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-67188814467445517062008-10-22T13:01:00.000+05:302008-10-22T13:01:00.000+05:30बहुत अच्छा विषय उठाया है. हम तो बस ये उम्मीद ही कर...बहुत अच्छा विषय उठाया है. हम तो बस ये उम्मीद ही कर सकते हैं की काश ये ब्लॉग कोई जज या वकील लोग भी पढ़ते हों, उनको एक दिशा मिले..निस्संदेह ऐसे निर्णय समाज को दूरगामी प्रभाव देंगे..Akhilhttps://www.blogger.com/profile/16959274282344081982noreply@blogger.com