tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post3821566474790819847..comments2023-11-05T14:33:52.361+05:30Comments on संवेदनाओं के पंख / दिव्य-दृष्टि: इलाज के बहाने भारत भ्रमणDr. Mahesh Parimalhttp://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-9579979745869627472007-12-25T14:29:00.000+05:302007-12-25T14:29:00.000+05:30बिल्कुल सही फ़रमाया आपने।अभी अभी कुछ महीने पहले मेर...बिल्कुल सही फ़रमाया आपने।<BR/>अभी अभी कुछ महीने पहले मेरे एक अमरीकी मित्र बेंगळूरु आया था। वह यहाँ अपनी आँखों का जाँच करवाकर,एक नहीं बल्कि दो नये चश्में खरीदकर ले गया। उसे यकीन भी नहीं हो रहा था कि इतने कम पैसे में उनका यह काम बन गया!<BR/><BR/>यह अजीब विडम्बना है।<BR/>Medical Tourism से हम बहुत कमा सकते हैं लेकिन इस में यह भी खतरा है कि भारतीय मरीजों को लाभ नहीं होगा। अगर ज्यादा विदेशी मरीज भारत आते हैं तो हो सकता है कि लोभ के कारण यहाँ भी खर्च ज्यादा हो जाएंगे। उसका असर हम भारतीयों पर होगा।<BR/><BR/>एक बार कहीं विदेश के वृद्ध जनों के बारे में भी पढ़ा था।<BR/>उनके पास पैसा है, लेकिन अपने बच्चों का प्यार नहीं।<BR/>वहाँ old age homes में पढ़े रहते हैं।<BR/>उनको अगर हम यहाँ सभी सुविधाएं देकर स्वागत करते हैं तो कैसा रहेगा? उन्हें भी लाभ और हमें भी। क्या हमारे अपने वृद्ध ज्नों पर असर पड़ेगा? मुझे नहीं लगता। हमारी पुरानी परंपरा है कि हम अपने बुजुर्गों को अपने साथ ही रखते हैं। आपके का विचार हैं?<BR/>G विशनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरुG Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.com