tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post5672455987308672256..comments2023-11-05T14:33:52.361+05:30Comments on संवेदनाओं के पंख / दिव्य-दृष्टि: ‘‘चले दृढ़ कदमों से गांधी छा गई साम्राज्य पर आँधी’’Dr. Mahesh Parimalhttp://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-31268927494902764672010-03-12T13:36:05.084+05:302010-03-12T13:36:05.084+05:30मनुष्य को जीवन और मृत्यु को समान रूप से देखना चाहि...मनुष्य को जीवन और मृत्यु को समान रूप से देखना चाहिए, हो सके तो मृत्यु को आगे रखें। यह कहना कठिन है, इसे अमल में लाना उससे भी ज्यादा कठिन है। सभी अच्छे कार्य मुश्किल होते हैं। चढ़ाई हमेशा तकलीफदेह होती है और ढलान आसान होने के साथ-साथ फिसलनभरी भी होती है। स्वाभिमान खोने से अच्छा है, हिम्मत के साथ मौत को गले लगाया जाए।<br /><br />poora lekh prashansneey hai.bahut bahut aabhar........Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.com