tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post5695973808745524253..comments2023-11-05T14:33:52.361+05:30Comments on संवेदनाओं के पंख / दिव्य-दृष्टि: कोई मुझे थोड़ा-सा समय दे देDr. Mahesh Parimalhttp://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-61251165920950006502007-11-01T11:43:00.000+05:302007-11-01T11:43:00.000+05:30काश कि छोटी जगहों, जो गाँव से भी छोटी हैं, में भी ...काश कि छोटी जगहों, जो गाँव से भी छोटी हैं, में भी जैसा आप कह रहे हैं सबके पास समय होता ! परन्तु यह आवश्यक नहीं है ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-38857064952999341022007-11-01T08:16:00.000+05:302007-11-01T08:16:00.000+05:30मैंने सारी भागमभाग से समय निकालकर आपका पूरा लेख पढ...मैंने सारी भागमभाग से समय निकालकर आपका पूरा लेख पढ़ डाला।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-15660569662598113162007-10-31T17:08:00.000+05:302007-10-31T17:08:00.000+05:30सर, आपने बिल्कुल सही लिखा है. इस कदर भागम-पेल मची ...सर, आपने बिल्कुल सही लिखा है. इस कदर भागम-पेल मची कोई सही ग़लत नही देख रहा, कोई समय नही देख रहा. बस दौड़ रहें है एक अंतहीन दौड़. दो लाईने दे रहा हूँ.<BR/>"अब होने लगी तरक्की और बाज़ार की बातें<BR/>काम से यारों अब ये शहर भी गया."बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.com