tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post6902507431320272556..comments2023-11-05T14:33:52.361+05:30Comments on संवेदनाओं के पंख / दिव्य-दृष्टि: बेहतर शिक्षा स्कूल में नहीं, जीवन की शाला मेंDr. Mahesh Parimalhttp://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-84399692720492230562009-02-10T21:02:00.000+05:302009-02-10T21:02:00.000+05:30आपकी यह पोस्ट न केवल आगत की आहट है अपितु प्रतीक्ष...आपकी यह पोस्ट न केवल आगत की आहट है अपितु प्रतीक्षित परिवर्तन की आश्वस्ति भी है। समान अभियान मे भिन्न-भिन्न स्थानों पर लगे हुए भिन्न-भिन्न लोगों की समग्र जानकारी देकर आपने सचमुच में उपकार ही किया है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3095988659802522890.post-35860078567295652322009-02-10T14:42:00.000+05:302009-02-10T14:42:00.000+05:30आज शिक्षा केवल रोजगार उन्मुख है. इंजीनिअर बनने के ...आज शिक्षा केवल रोजगार उन्मुख है. इंजीनिअर बनने के लिए बच्चे नवीं दसवीं कक्षा से ही कोचिंग लेने लगते हैं.छोटे बच्चों पर बस्तों का बोझ और प्रतियोगिता का तनाव है. इससे उनका बचपन छिन गया है. इस बारे में चर्चाएं तो होती हैं लेकिन कोई सार्थक समाधान नहीं निकलता. जिस प्रकार की शिक्षा का आपने जिक्र किया है. देखना है वह कितना लोकप्रिय और फलदायी होती है.Anonymousnoreply@blogger.com