गुरुवार, 11 अक्तूबर 2018

ऐसे सुलझाएँ ‘की’ और ‘कि’ की उलझन

ऐसे सुलझाएँ ‘की’ और ‘कि’ की उलझन
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हाल के दिनों में बहुत-से मित्रों से सुना है कि उन्हें ‘की’ और ‘कि’ के बीच उलझन होती है। यह एक अच्छी बात है। समस्या होना अच्छी बात नहीं है, उसे स्वीकार करना अच्छी बात है। समस्या को स्वीकार करना समाधान का पहला चरण है। यानी आपको पता चल गया है कि समस्या है।

समाधान के लिए मैं कुछ जानकारियाँ दे रहा हूँ। यह पोस्ट किसी व्यक्ति विशेष को लक्ष्य करके नहीं लिखी गई है, बल्कि सीखने के इच्छुक सभी मित्रों के लिए है। इन जानकारियों को ध्यान में रखेंगे, तो उलझन नहीं होगी। हो सकता है कि पहले ड्राफ़्ट में कि की जगह की हो जाए, पर जब आप अपने लिखे को दुबारा पढ़ेंगे, तो ख़ुद ही अपनी ग़लतियाँ पकड़ लेंगे।   

'कि' एक संयोजक शब्द है। इसका प्रयोग दो वाक्यों या वाक्यांशों को जोड़ने के लिए होता है। जैसे- मेरा कहना है कि यह सरल है। यहाँ दो वाक्यांश हैं- ‘मेरा कहना है’ और ‘यह सरल है’, जिन्हें कि के ज़रिए जोड़ा गया है। 'कि' का प्रयोग आमतौर पर क्रिया के बाद होता है। मसलन- कहना, मानना, सोचना आदि। आसानी के लिए आप यह मान सकते हैं कि पहले वाक्य को यदि प्रश्न में बदल दिया जाए, तो उत्तर के पहले ‘कि’ आएगा- मेरा मानना है (मेरा क्या मानना है?) कि यह सरल है।

'कि' का प्रयोग ‘या’ की जगह भी होता है। तुम रोटी खाओगे कि भात? आपको गणित पसंद है कि विज्ञान?

दूसरी तरफ़, 'की' का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम के बाद आने वाले शब्द से सम्बंध जोड़ने के लिए किया जाता है- राहुल ‘की’ पुस्तक, ज्ञान ‘की’ बात, रीना ‘की’ सहेली, उस ‘की’ क़लम। आसानी के लिए आप मान सकते हैं कि दो वाक्यों या वाक्यांशों को ‘कि’ जोड़ता है और दो शब्दों को ‘की’ जोड़ता है।

ध्यान रहे कि 'की' के बाद स्त्रीलिंग शब्द आता है। यदि बाद वाला शब्द पुलिंग है, तो 'का' का प्रयोग होगा- रमा का बस्ता

विवेक गुप्ता

सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

श्राद्ध-श्रद्धा और पर्यावरण






6 अक्टूबर 2018 को लोकोत्तर में प्रकाशित

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