रविवार, 28 नवंबर 2021

ऑनलाइन गेम पर अंकुश




दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित 27 नवम्बर 21 को

अमर उजाला के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित 28 नवम्बर को






 

रविवार, 14 नवंबर 2021

महाराष्ट्र में इतना सन्नाटा क्यों है?

हाराष्ट्र में एक तरफ तो आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है, तो दूसरी तरफ राजनीति के गलियारों में सन्नाटा छाया हुआ है। नवाब मलिक को बोलती बंद कर सके, ऐसी हिम्मत न तो किसी मंत्री में है और ना ही किसी विधायक में। सब मौन धारण किए हुए तमाशा देख रहे हैँ। मानों सभी को सांप सूंघ गया हो। सच ही कहा गया है कि राजनीति के घाट पर जब भी कपड़े धोए जाते हैं, तो सभी की गंदगी सामने आ जाती है। बॉलीवुड तो खुश है कि सभी का ध्यान अब आर्यन के मामले से हट गया है। उधर शिवसेना और एनसीपी को यह डर सता रहा है कि आरोप-प्रत्यारोप के इस दंगल में कहीं उनकी पोल न खुल जाए।

इस समय देश में ऐसा कोई भी कद्दावर नेता नहीं है, जो महाराष्ट्र में होने पर इस दंगल में कुछ बोल सके। शरद पवार, राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है। नवाब मलिक ओर देवेंद्र फड़नवीस के तीखे बयानों से राजनीति में एक तरह से भूचाल ही आ गया है। आर्यन को पकड़ने वाले अधिकारी समीर वानखेड़े के समर्थन में बहुत से लोग सामने आ गए हैं। हवा में तलवारें चलने लगीं हैं। फड़नवीस जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, तब उनके पास नवाब मलिक के बारे में काफी जानकारी थी, लेकिन नवाब मलिक के पास देवेंद्र फड़नवीस के खिलाफ कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसे लेकर वे कुछ नया कर सकें। अब तो दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ मानहानि का दावा भी ठोंक दिया है।

आर्यन खान ड्रग्स मामले में जमानत पर छूट चुका है। उन्हें गिरफ्तार करने वाले समीर वानखेड़े को भ्रष्ट साबित करने के लिए एक द्वंद्व युद्ध शुरू कर दिया गया है। मीडिया भी बुरी तरह से उन पर फिदा हो गया है। ऐसा लगने लगा है कि देश में अब कुछ भी बताने के लिए बचा ही नहीं है। अब न तो महाराष्ट्र के भीष्म पितामह शरद पवार में इतना दम-खम बचा है कि वे नवाब मलिक को खामोश रहने के लिए बोल सकें। वे भी यह अच्छी तरह से जानते हैं कि उनका दामाद समीर वानखेड़े के कारण जेल की हवा खा चुका है। समीर के वैवाहिक जीवन को लेकर उन पर कीचड़ उछाला जा रहा है। सबूत के बतौर दस्तावेज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके बावजूद समीर के समर्थन में काफी लोग सामने आ गए हैं।

बॉलीवुड कितने दलदल में धंसा हुआ है, यह सभी जानते हैं। बॉलीवुड के लोग कई बार अपने असली चेहरे के साथ सामने आ चुके हैं। इसके भीतर की बजबजाती गंदगी से हर कोई वाकिफ है। लेकिन इस मामले में बॉलीवुड की लॉबी इस बार चालाक सिद्ध हुई है। पूरी इंडस्ट्री यही चाहती थी कि लोगों का ध्यान आर्यन मामले से भटकाया जाए। जब से आक्षेपबाजी शु्रू हुई है, तब से लोग केवल फड़नवीस वर्सेस नवाब मलिक में ही उलझे हुए हैं। इनका मामला ठंडा पड़ेगा, तो आर्यन का मामला फिर से सुर्खियों में आ जाएगा। इसलिए वाद-विवाद चलता रहे, यही बॉलीवुड चाहता है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इन दिनों अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। इसलिए राज्य की तीन पार्टियों से बनी सरकार सकते में हैं, कोई कुछ बोलने को तैयार ही नहीं है। सभी फड़नवीस वर्सेस नवाब मलिक के बीच होने वाले टी-20 मैच के तमाशबीन हैं। इन दोनों की लड़ाई में महाराष्ट्र सरकार की छवि लगातार धूमिल होती जा रही है। कुछ लोग चाहते हैं कि इनके बीच का मामला सुलझ जाए, पर इसके लिए कौन आगे आएगा, यह सवाल सभी को मथ रहा है। सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख जेल में हैं। सरकार अपने गृहमंत्री को नहीं बचा पाई, इसलिए पुलिस विभाग के कई उच्च अधिकारियों को नोटिस भेजे गए हैं। सरकार सांसत में है कि जब गृहमंत्री ही एक करोड़ रुपए के रिश्वत के मामले में फंस सकते हैं, तो बाकी मंत्रियों की क्या हालत होगी। अब तक समीर वानखेड़े के बचाव में शिवसेना ने भी कुछ नहीं कहा है। बॉलीवुड को बचाने वाला जो भी सामने आया, वह फंस गया है। अंडरवर्ल्ड की पकड़ महाराष्ट्र की राजनीति में कितनी है, यह साफ दिखाई दे रहा है।

मलिक और फड़नवीस के बीच चल रहे वाक युद्ध के दौरान कई और भी मामले सामने आएंगे, यह तय है। कई नए खुलासे भी हो सकते हैं। इसे शिवसेना और एनसीपी के नेता भी जानते हैं। इन्हें डर है कि यह वाक युद्ध कहीं महाराष्ट्र सरकार के लिए सुनामी साबित न हो जाए।

डॉ. महेश परिमल

 


मंगलवार, 2 नवंबर 2021

निंदिया बैरन भई....




जनसत्ता में एक नवम्बर 21 को प्रकाशित



दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में 06 दिसम्बर 21 को प्रकाशित




 कोई मुझे गहरी नींद दे दे....

दुनिया में हर चीज का आदान-प्रदान हो सकता है। हम खुशियों को बांट सकते हैं, दु:ख को बांट सकते हैं, सुख को बांट सकते हैं। पर नींद ही एक ऐसी परोक्ष चीज है, जिसे हम कभी बांट नहीं सकते। इंसान भले ही दूसरों को मौत की नींद सुला सकता है, पर वास्तविक नींद कभी नहीं दे सकता। यह सच है कि सुविधाओं के बीच नींद नहीं आती। नींद तो असुविधाओं के बीच ही गहरी होती है। नींद एक ऐसा अहसास है, जिसमें कोई बंधन नहीं होता। यह कोई सम्पत्ति भी नहीं है, जिसे जमा करके रखा जाए। आज के जमाने में जिसे अच्छी नींद आती है, उससे अधिक अमीर और सुखी कोई नहीं। जो जागी आंखों से पूरी रात निकाल देते हैं, उन्हें फुटपाथ पर बेसुध सोये हुए लोगों को देखकर ईर्ष्या हो सकती है, पर कुछ किया नहीं जा सकता।

कुछ लोग तमाम सुविधाओं के बीच भी सो नहीं पाते, तो कुछ हाथ को तकिया बनाकर जमीन पर ही सो जाते हैं। कुछ लोग करवटें बदल-बदलकर कर थक जाते हैं, फिर भी नींद नहीं आती, तो कुछ लोग बिस्तर पर जाने के तुरंत बाद सो भी जाते हैं। यह सच है कि नींद बाजार में नहीं मिलती। कई बार अधिक मेहनत करने के बाद भी नींद नहीं आती। झपकी को नींद की छोटी बहन माना जा सकता है। दोपहर के भोजन के बाद हल्की-सी झपकी भी कई घंटों की गहरी नींद की तरह होती है। जिन्हें अच्छी नींद आती है, वे किस्मत वाले होते हैं। दवाओं के सहारे सोने वाले बदकिस्मत होते हैं। अच्छी नींद के बाद शरीर की कई व्याधियों का खात्मा होता है।

नींद का मस्तिष्क से सीधा-सा संबंध है। गहरी नींद का स्वामी वही होता है, जो वीतरागी होता है। जन्म लेने के बाद बच्चा पूरी तरह से निर्दोष होता है, इसलिए 18 घंटे तक सो लेता है। जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाती है,वह गलतियों और बुरे विचारों से घिरने लगता है, तब उसके हिस्से की नींद उसे नहीं मिलती। जिसने कभी किसी का बुरा नहीं किया, उसके घोड़े तो पूरी तरह से बिक चुके होते हैं अर्थात वह भरपूर नींद का अधिकारी होता है। नींद का सीधा संबंध हमारी दिनचर्या से है। दिन भर अच्छा सोचो, अच्छा करो, किसी का भी बुरा न करो, किसी को बुरा न कहो, तो उसे रात में बहुत अच्छी नींद आएगी। पर आजकल ऐसा कौन कर पाता है, इसलिए वह अच्छी और भरपूर नींद से वंचित होता है।

नींद न आना कोई बीमारी नहीं है। यह हमारी मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है कि हमें कैसी नींद आ रही है। एक भरपूर नींद के लिए कुछ चुकाना नहीं पड़ता। बस निर्दोष होना होता है। पर निर्दोष होना ही मुश्किल है। अच्छी नींद के लिए बहुत जरूरी है, बिस्तर पर अपने अच्छे विचारों को लेकर जाया जाए। अपने तनाव को कमरे के बाहर ही रख दें, तो बेहतर। तनाव का नींद से 36 का आंकड़ा है। जहां तनाव है, वहां नींद गायब होगी। जहां अच्छी नींद है, वहां तनाव ठहर ही नहीं सकता। एक बार किसी अनजाने को कुछ देकर देखो, आप पाएंगे कि उस दिन आपको अन्य दिनों की अपेक्षा अच्छी नींद आएगी। कुछ पाने की खुशी अच्छी नींद दे या न दे पाए, पर यह सच है कि कुछ देकर हम अच्छी नींद पा ही सकते हैं। देना नींद का पहला सबक है। यह देना भले ही अच्छे विचार का ही क्यों न हो। अच्छी और गहरी सोच भी भरपूर नींद में सहायक सिद्ध होती है। किसी को एक हल्की से मुस्कान देकर भी अच्छी नींद की प्राप्ति हो सकती है। नींद शारीरिक से अधिक मानसिक स्थिति को नियंत्रित करती है। कहा गया है ना मन चंगा तो कठौती में गंगा। मन की स्थिति स्थिर है, तो यह अच्छी और भरपूर नींद के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी है।

हम नींद को खरीद नहीं सकते, पर उसे लाने के लिए मेडिकल स्टोर्स से गोलियां ले सकते हैं। वह भी डॉक्टर के कहने पर। इसके बाद भी इस बात की कोई गारंटी नहीं कि गोलियां लेने के बाद आपको नींद आएगी। नहीं भी आ सकती। आएगी, तो वह शरीर को आराम नहीं देगी, बल्कि दूसरी व्याधियों के लिए आपको तैयार कर देगी। आप चाहकर भी अच्छी नींद नहीं ले पाएंगे। बचपन में सुनी लोरियां यदि सोने के दौरान गुनगुनाएं, तो संभव है आपको नींद आ जाए, क्योंकि बचपन के आंगन में विचरने से हमारा बचपन भी लौट आता है। फिर बचपन में नींद के लिए कभी कोई समय निश्चित नहीं होता था। कई बार ऐसा होता है कि झोपड़ियों में खर्राटे गूंजते हैं और महल रात भर जागते रहते हैं। इसकी वजह जानते हैं आप? वजह सिर्फ यही कि झोपड़ियों के लोग अपने और परिवार के बीच प्यार से रहते हैं। छोटे से घर में एक परिवार शांति से रह लेता है। पर महलों, अट्‌टालिकाओं के हर कमरे में तनाव का वास होता है, वहां भीतर जाने के लिए प्यार तरसता रहता है। प्यार को वहां जाने की अनुमति नहीं मिलती। इसलिए वहां सन्नाटा चीखता है, वहां के लोग नींद की गोलियां खाकर भी चैन से नहीं सो पाते। 

प्राकृतिक रूप से नींद से बोझिल आंखें केवल बच्चों की ही होती हैं, क्योंकि ये निर्दोष होती है। अच्छी नींद के बाद जब आंखें खुलती है, तब उससे प्यार टपकता है। यह प्यार आंसू के रूप में भी हो सकता है। इसलिए हमारे आसपास कई निर्दोष आंखें होती हैं, हमें उसे पहचानने की कोशिश करनी होती है। ये आंखें या तो बच्चों की होती हैं, या फिर बुजुर्गों की। युवाओं की आंखों में निर्दोष होने का भाव कम ही नजर आता है। इसलिए जब कभी अच्छी नींद की ख्वाहिश हो, तो दिन में कुछ अच्छे काम कर ही लो, फिर पास में किसी बच्चे को अपने पास सुला लो, उसकी निर्दोष आंखों को देखते-देखते आपको अच्छी नींद आ ही जाएगी। यह एक छोटा-सा प्रयोग है, इसे एक बार...बस एक बार आजमा कर देखो, आप भरपूर नींद के स्वामी होंगे।

डॉ. महेश परिमल


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