बदहाल हर्षद मेहता का परिवार कहते हैं कि चढ़ते सूरज को हर कोई सलाम करता है। आज जिसके पास धन-दौलत और प्रसिद्धि है, उसके साथ हजारों की भीड़ है। एक समय ऐसा भी था, जब बिगबुल के नाम से प्रसिद्ध हर्षद मेहता के साथ हजारों लोग थे। शेयर बाजार में उसकी तूती बोलती थी। मंत्री से लेकर संत्री तक उसके गुणगान करते थे। उसके साथ अनेक चाटुकार भी थे। पर समय के साथ-साथ सब कुछ बदल गया। आज हर्षद मेहता का परिवार तंगहाली और बदहाली में जी रहा है। पिछले दो दशक से उनका परिवार बिना बैंक एकाउंट के जी रहा है। हाल ही उनकी पत्नी ज्योति मेहता ने एक वेबसाइट शुरू की है, जिसमें उसने बताया कि हर्षद मेहता को एक घपलेबाज के रूप में प्रचारित किया गया है। उन पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं। उन पर फिल्म और वेबसीरीज भी बन गई। उनके नाम पर लाखों रुपए भी कमा लिए गए। पर किसी ने मेहता परिवार की सुध नहीं ली। ज्योति मेहता ने यहां तक कहा है कि हर्षद मेहता को जब जेल में अटैक आया, तो उन्हें समुचित इलाज नहीं मिला। हमने कई बार इस दिशा में सरकार का ध्यान आकृष्ट किया, पर न तो उनकी मौत की जांच हुई, न ही उनके शव का पोस्टमार्टम किया गया। शेयर बाजार से किस तरह कमाई की जा सकती है, इसे सिखाया हर्षद मेहता ने। एक समय उन्हें बिगबुल की रूप में पहचाना जाता है, आज उसे घपलेबाज बताया जा रहा है। आज भी जब कभी शेयर बाजार औंधे मुंह गिरता है, तो लोग हर्षद मेहता को ही याद करते हैं। उसके शाही ठाठ के खूब चर्चे थे। आज उनके परिवार की सुध लेने वाला कोई नहीं है। देश में आर्थिक उदारीकरण के दौर में सन 1990 के दशक में अरबों रुपयों का आर्थिक घोटाला प्रकाश में आया, तो उसके सूत्रधार के रूप में हर्षद मेहता का नाम सामने आया। बैंकों की असावधानी उसकी कमजोरी का पूरा लाभ उठाते हुए हर्षद मेहता ने बैंक के रुपए को बाजार में चलाया। जब यह घपला सामने आया, तब शेयर बाजार बुरी तरह से औंधे मुंह गिरा। इसका असर यह हुआ कि छोटे निवेशकर्ताओं की हालत ही खराब हो गई। इसके लिए हर्षद मेहता को दोषी माना गया। इसके बाद हर्षद मेहता अतीत का हिस्सा हो गए। बीस साल बाद उनकी पत्नी ज्योति ने एक वेबसाइट शुरू की। जिसमें उसने पति हर्षद मेहता की छवि को जानबूझकर खराब करने का आरोप लगाया। वेबसाइट में ज्योति ने लिखा है कि जब से हर्षद मेहता की मौत हुई है, तब से हमारी जिंदगी को मानों लकवा मार गया है। वेबसाइट में सुचेता दलाल का भी जिक्र किया गया है। सुचेता ने ऐसी तकनीक अपनाई थी कि उसका नाम कहीं भी न आए आए, तो घोटाले का पूरा ठीकरा हर्षद मेहता के सर पर फोड़ा जाए। वेबसाइट में ज्योति मेहता ने लिखा है कि मेरे पति हर्षद मेहता को 47 की उम्र में हार्ट अटैक से मौत हो गई। उन्हें पहली बार जब अटैक आया, तब डॉक्टर ने उन्हें सार्बीट्रेट के सिवाय और कोई दवा नहीं दी थी। उन्हें हॉस्पिटल में भी शिफ्ट नहीं किया गया। चार घंटे बाद जब उन्हें दूसरा अटैक आया, तब उन्हें थाणे के हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। जब उन्हें थाणे के हॉस्पिटल में लाया गया, तब उन्हें उनके कमरे तक चलाते हुए ले जाया गया। उन्हें व्हील चेयर मुहैया नहीं कराई गई। जब वे बुरी तरह से थक गए, तब उन्हें व्हील चेर पर बिठाया गया। वहीं उनकी मौत हो गई। तब हमने इसकी जांच कराने और शव का पोस्टमार्टम करने की मांग की। पर हमारी किसी ने नहीं सुनी। उनकी मौत की जानकारी उसी जेल में उसके बाजू वाली कमरे में कैद उनके भाई को भी नहीं दी गई। अब मेहता परिवार यह कहता है कि 1993 से हम टैक्स टेरिज्म के शिकार बने हैं। हमें बलि का बकरा बनाया गया है। जांच के दौरान हमने सरकार और जांच एजेंसी को पूरा सहयोग दिया है। इसके बाद भी हमें बदनाम किया गया है। अदालत द्वारा हर्षद मेहता को अपराधी साबित करने के पहले मीडिया ने उन्हें अपराधी घोषित कर दिया। उन्हें स्केम मास्टर के रूप में प्रचारित किया गया। उनकी मौत के बाद उन पर क्रिमिनल केस नहीं चलाना संभव नहीं था, उन पर कोई आरोप भी सिद्ध नहीं हो पाए थे। इसके बाद भी उन पर केंद्रित वेबसीरीज बनाई गई। जिसका टाइटल ही गलत है। हर्षद मेहता की पत्नी ज्योति ने 20 साल बाद मुंह खोला है। तब तक हर्षद मेहता के नाम पर बहुत कुछ बिक गया है। देश को आर्थिक रूप खोखला करने वाले बहुत से लोग हुए हैं। पर किसी के साथ हर्षद मेहता जैसा व्यवहार नहीं हुआ है। देश को बहुत से लोगों ने अपने-अपने तरीके से नुकसान पहुंचाया है। पर आज वे सभी सम्मानपूर्वक जीवन जी रहे हैं। पर हर्षद मेहता का परिवार आज किस हालत में है, इसे कोई जानना नहीं चाहता। उनके नाम पर बनने वाली फिल्म और वेबसीरीज को सभी ने सराहा, पर मूल पात्र के परिवार की हालत कैसेी है, यह जानने की फुरसत किसी को नहीं है। देश में एक से एक भ्रष्ट लोग हैं, जिसमें अधिकांश राजनीति में हैं, पर सभी बेदाग माने जाते हैं। जिसने बैंकों की कमजोरी का फायदा उठाकर उसकी राशि से अपना बिजनेस बढ़ाया, आज उसका परिवार तंगहाली और बदहाली में जी रहा है। इसे क्या कहा जाए? डॉ. महेश परिमल