डॉ. महेश परिमल
भारत अपनी शालीन परंपराओं के कारण पूरी दुनिया में पहचाना जाता है। जहां भी संस्कारों की बात आती है, तो भारतीय परंपराओं की दुहाई दी जाती है। यह परंपरा आज भी देश में जारी है। पर अब इस परंपरा में दरार साफ दिखाई देने लगी है। पाश्चात्य संस्कृति ने देश के युवाओं को बुरी तरह से प्रभावित किया है। कहते हैं कि अच्छी परंपरा का अनुसरण लोग या तो करते ही नहीं, या अनदेखा कर देते हैं, पर बुरी परंपरा को लोग जल्दी स्वीकार कर लेते हैं। पश्चिमी संस्कृति से हमने भले ही उनकी समय की पाबंदी को नहीं सीखा हो, पर उनके फैशन को अपनाने में हमने जरा भी देर नहीं की। इसके अलावा नशे को भी हमने अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया। प्राचीन भारत में स्त्री-पुरुष संबंधों और यौन विषयक चर्चा खुले रूप में होती थी। इसके प्रमाण हमें खजुराहो और कोणार्क के मंदिर के बाहर के शिल्प में देखने को मिलता है। मुगल काल में भी स्त्रियों की सुरक्षा पर खास खयाल रखा जाता था। घूंघट एवं परदा प्रथा भी स्त्री सुरक्षा का एक आवश्यक अंग है। अब पश्चिमी संस्कृति ने विश्व के देशों में बीच और बिकिनी संस्कृति पैदा की है। इस विरोध तो हो ही रहा है, पर इसके समर्थक भी कम नहीं है। पिछले रविवार को मुम्बई और कोच्ची में दो संस्कृतियों के बीच की टक्कर ‘किस ऑफ लव’ के रूप में देखने को मिली।
मुम्बई के समुद्र तट और सूरत के बगीचों में कई युवा जोड़े में प्रेम लीला करते पाए जाते हैं। इस क्रिया में वे इतने अधिक मगन होते हैं कि दूसरों का खयाल तक नहीं रखते। वे यह भी नहीं देखते कि उनकी इन क्रियाओं पर कई लोगों की नजर है, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। कई बार लोग शरमा जाते हैं, पर युगल नहीं शरमाते। मायानगरी के बांद्रा बेंड स्टेंड क्षेत्र में समुद्री किनारे रहने वाले पॉश कॉलोनी के लोग पुलिस से यह शिकायत करते हैं कि उनके फ्लैट की खिड़की से युवाओं की प्रेमलीला के दृश्य आम हो गए हैं। इस आधार पर पुलिस उन युगलों को या तो परेशान करती है या फिर उनसे वसूली कर लेती है। मुम्बई में जहां रहने के लाले हैं, ऐसे में लोगों का एकांत नहीं मिलता, इसलिए वे सार्वजनिक स्थलों पर अपने प्रेम का इजहार करने लगे हैं। हाल ही में केरल के कालिकट (कोजीकोड) में प्रेम की खुलेआम अभिव्यक्ति की चर्चा जोरों पर है। कालिकट के एक कॉफी शॉप में कुछ युवक जब आधी रात को पार्टी का आनंद ले रहे थे, तब कुछ रुढिग्रस्त युवक वहां कैमरामेन को लेकर आ गए और उन्होंने युवकों से मारपीट शुरू कर दी। मारपीट का विरोध करने वाले कोच्ची के युवाओं ने फेसबुक पर ‘किस ऑफ लव’ नाम का एक समूह बनाया। रविवार को कोच्ची के मरीन ड्राइव क्षेत्र में खुलेआम चुम्बन करने का कार्यक्रम आयोजित किया। मुम्बई के आईआईटी कॉलेज में पढ़ने वाले विद्याíथयों ने इसमें दिलचस्पी ली और उन्होंने भी मुम्बई के केम्पस में ‘किस ऑफ लव’ का तमाशा शुरू कर दिया। इसकी जानकारी जब परंपरावादी युवाओं को मिली, तब उन्होंने इसका विरोध करने का आह्वान नागरिकों से किया। इस कारण आपाधापी का माहौल बन गया।
कोच्चि के मरीन ड्राइव में ‘किस ऑफ लव’ कार्यक्रम के आयोजन से जुड़ने के लिए फेसबुक का सहारा लिया। इससे वहां करीब 50 युगल पहुंच गए थे। इसका विरोध करने के लिए वहां शिवसेना ने अपना मोर्चा खोल दिया। शिवसेना के करीब 300 कार्यकर्ताओं ने वहां पहुंचकर हंगामा मचाया। इस विरोध प्रदर्शन में कई मुस्लिम संगठन भी शामिल हो गए। जिन्होंने ‘किस ऑफ लव’ का आयोजन किया था, उन्होंने इसके लिए बाकायदा पुलिस से इसकी अनुमति मांगी थी। पर उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। पुलिस ने इसलिए अनुमति नहीं दी कि इससे क्षेत्र की शांतिभंग होने का पूरा खतरा था। स्वाभाविक था कि ‘किस ऑफ लव’ के आयोजक इससे नाराज हुए। इसलिए वे पुलिस की परवाह न करते हुए आयोजन स्थल पर पहुंच गए। 50 युगलों की हरकत का विरोध करने के लिए 300 लोगों का हुजूम। तय था यातायात थम गया। कुछ अनोखा हो जाने की पूरी गुंजाइश थी। पर पुलिस ने स्थिति लाठीचार्ज से संभाल ली। युगलों के होंठ आपस में नहीं मिल पाए, उसके पहले ही भीड़ बिखर गई। युगलों को पुलिस वेन में ले जाया गया, वहां इन युगलों ने आपस में चुम्बन लेकर कार्यक्रम को सफल बनाने का संतोष प्राप्त किया।
कोच्ची के युगलों के समर्थन में मुम्बई के आईआईटी कॉलेज के विद्याíथयों द्वारा भी केम्पस में मॉरल पुलिस का विरोध करना चाहा। इसके लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शिवसेना ने राजनैतिक कारणों से इसका विरोध शुरू किया। केम्पस में सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए। व्यवस्था इतनी अधिक चुस्त थी कि कार्यक्रम स्थल पर न तो पत्रकारों को जाने दिया गया और न ही प्रेस फोटोग्राफरों को। इसलिए यह कार्यक्रम हुआ या नहीं, इसकी जानकारी भी लोगों को नहीं मिल पाई। पुलिस को भी लाठीचार्ज नहीं करना पड़ा। कोच्ची और मुम्बई में हुए ‘किस ऑफ लव’ के इस तमाशे को लोग कुछ समय बाद भूल जाएंगे। पर समाज के सामने यह सवाल एक दावानल के रूप में खड़ा होगा अपने प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए सार्वजनिक स्थल को चुनना क्या उचित है? आखिर समाज इसे कहां तक स्वीकार करेगा। इसका जवाब यही हो सकता है कि पाश्चात्य देशों में जिस तरह से इस तरह की हरकत को लोग अनदेखा कर देते हैं। ठीक हमें भी उसी तरह से हलका चुम्बन, आलिंगन आदि निर्दोष चेष्टाओं के प्रति सहिष्णु होना होगा। हमारे संविधान में इस तरह की हरकतों के लिए कोई धारा नहीं है। इन हरकतों से किसी को किसी भी प्रकार की सजा नहीं दी जा सकती। अभिव्यक्ति जब अश्लीलता की सीमाएं पार करने के पहले युवाओं को अपना विवेक नहीं खोना चाहिए। सार्वजनिक स्थानों की भी अपनी सीमाएं एवं मर्यादा होती है। इन सीमाओं को लांघने वाले लोगों पर कार्रवाई के लिए पुलिसतंत्र है।
कई मामलों में जब हम विदेशों का अंधानुकरण कर रहे हैं, तो फिर इसमें क्या बुराई है। विदेशों से हमने जो कुछ अच्छा सीखा, वह समाज में दिखाई नहीं देता, किन्तु जो बुरा सीखा, वह समाज में साफ दिखाई दे रहा है। समाज में आज जो विकृति आ रही है, वह इसी का परिणाम है। आज युवा भटक रहे हैं। वे हर चीज को शार्टकट से हासिल करना चाहते हैं। फैशन में वे किसी से पीछे नहीं रहना चाहते। उनमें नई सोच और ऊर्जा की कतई कमी नहीं है, पर सही दिशा निर्देश न मिलने के कारण वे जो चाहते हैं, वे नहीं कर पा रहे हैं। अब उनकी समझ कम होती जा रही है, वे ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं, जिसमें उन्हें कोई रोकने वाला न हो। यदि कोई रोकना भी चाहे, तो वे अपनी हरकतों को नया रंग देने के लिए सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करते हैं। समाज यह होने नहीं देगा। इसलिए ऐसी हरकतों का विरोध हो रहा है। इस पर युवाओं की अपनी सोच हो सकती है, जिसे उम्र का तकाजा कहा जा सकता है, पर समाज ने अपने लिए स्वयं ही एक लक्ष्मण रेखा खींच रखी है, जिसे पार करने का मतलब ही है कि समाज से विद्रोह करना। अच्छी परंपराओं को समाज स्वीकारता है, तो पुरानी रुढ़ीवादी परंपराओं को बाहर भी यही समाज करता है। इसलिए ‘किस ऑफ लव’ का विरोध होना ही चाहिए।
डॉ. महेश परिमल