बुधवार, 31 मार्च 2021

रेडियो रूपक - स्मृतियों का सपनीला संसार

पद्मश्री से विभूषित भूरी बाई के चित्रकर्म पर केंद्रित रूपक 
स्मृतियों का सपनीला संसार, जिसके लेखक हैं - डॉ महेश परिमल। इसे आकाशवाणी से मंगलवार, 30 मार्च 2021 को रात 9:30 बजे प्रसारित किया गया। इस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता - राकेश  ढौंडियाल  हैं। इस रूपक में पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी, बसंत निर्गुणे और शंपा शाह ने भूरी बाई के चित्रों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। आप भी इस रेडियो रूपक का आनंद इस ऑडियो की सहायता से लीजिए...




कविता - अंतर तो अंतर होता है - भारती परिमल



अंतर तो अंतर होता है
छोटा या बड़ा कहाँ होता है?
शाम ढलते ही घर आ जाना,
देर रात तक बाहर रहना गलत होता है।
लेकिन उसे बेवक्त आने-जाने से,
कोई कहाँ टोकता है?
अंतर तो अंतर होता है...
घर पर मेहमान आए हैं,
किताबें बंद कर यहाँ आना,
दो कप चाय बना लेना।
साथ में कुछ नाश्ता भी देना होता है
पर उनके जाने के बाद,
खाली कप-प्लेट उठाने को भी
कोई कहाँ टोकता है?
अंतर तो अंतर होता है...
बर्थडे पार्टी में नई ड्रेस और
दोस्तोंका घर आना ही काफी होता है
पर उसे बर्थडे पर 
बाहर मौज-मस्ती करने से
कोई कहाँ टोकता है?
अंतर तो अंतर होता है...
ऑडियो द्वारा इस कविता का आनंद लीजिए...

मंगलवार, 30 मार्च 2021

Anamika Kahani

अनामिका परिवार में ईश्वर के अनुपम वरदान की तरह आई थी। चंद्र की सोलह कलाओं की तरह उसका रूप निखरता ही जा रहा था। कोई उसे इन्द्रलोक की अप्सरा कहता तो कोई परीलोक की सबसे सुंदर परी। उसकी सुंदरता की तारीफ करते हुए लोगों के होंठ थकते नहीं थे। यही कारण था कि धीरे-धीरे अभिमान, घमंड, दर्प, अहंकार ये सारे शब्द शब्दकोश से निकलकर अनामिका के आसपास का एक आवरण बन गए। इनसे लिपटी अनामिका अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझती थी। यदि सहेलियाँ उसके आसपास होती, तो उसे लगता कि ये लोग उसकी सुंदरता के कारण ही उससे दूर नहीं जाना चाहती इसलिए उसे घेरे हुए हैं। परिवार में किसी के विवाह या अन्य अवसर पर सगे-संबंधियों का आना होता, तो वहाँ भी अनामिका पर सभी की निगाहें टिकी रहती। इस विशेष महत्व ने अनामिका को और भी अधिक नकचढ़ी बना दिया था। स्कूल के फेयरवेल में जब उसे मिस ब्यूटी का खिताब मिला, तो वह खुश तो बहुत हुई पर लोगों से यही कहती रही कि ये तो होना ही था। भला मुझसे खूबसूरत कोई है यहाँ? इस तरह अनामिका दर्प का छलकता जाम हाथों में लिए जीवन सफर में आगे बढ़ रही थी... भारती परिमल की इस कहानी का आनंद लीजिए, ऑडियो की मदद से...


शुक्रवार, 26 मार्च 2021

संवादहीनता के खतरे
























 

शुक्रवार, 19 मार्च 2021


14 मार्च 2021 को नवभारत में प्रकाशित




12 मार्च 2021 को जनसत्ता में प्रकाशित




                                                        10 मार्च 2021 को दैनिक जागरण में प्रकाशित






 31 जनवरी  20121 को नवभारत में प्रकाशित

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