बुधवार, 31 मार्च 2021

कविता - अंतर तो अंतर होता है - भारती परिमल



अंतर तो अंतर होता है
छोटा या बड़ा कहाँ होता है?
शाम ढलते ही घर आ जाना,
देर रात तक बाहर रहना गलत होता है।
लेकिन उसे बेवक्त आने-जाने से,
कोई कहाँ टोकता है?
अंतर तो अंतर होता है...
घर पर मेहमान आए हैं,
किताबें बंद कर यहाँ आना,
दो कप चाय बना लेना।
साथ में कुछ नाश्ता भी देना होता है
पर उनके जाने के बाद,
खाली कप-प्लेट उठाने को भी
कोई कहाँ टोकता है?
अंतर तो अंतर होता है...
बर्थडे पार्टी में नई ड्रेस और
दोस्तोंका घर आना ही काफी होता है
पर उसे बर्थडे पर 
बाहर मौज-मस्ती करने से
कोई कहाँ टोकता है?
अंतर तो अंतर होता है...
ऑडियो द्वारा इस कविता का आनंद लीजिए...

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