बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

बाल कहानी - घमंडी का बाग

कहानी का अंश.... एक व्यक्ति था, वह बड़ा घमंडी था। उसका एक बाग था। घमंडी कुछ दिन के लिए शहर के बाहर गया था। स्कूल से लौटकर सभी बच्चे घमंडी के बाग में खेलते थे। वह बाग नरम घासवाला था। बाग बड़ा सुंदर था। पेड़ की टहनियों पर चिड़ियाँ गाती तो बच्चे उन्हें सुनने के लिए खेलना बंद कर देते थे। बच्चे बहुत खुश थे। एक दिन घमंडी वापस आ गया। अपने बाग में बच्चों को खेलते देखकर वह उन पर बहुत चिल्लाया। डर के मारे बच्चे भाग गए। घमंडी चिल्लाता रहा - यह बाग मेरा है। सिर्फ मेरा है। तुम यहाँ नहीं आ सकते। फिर घमंडी ने बाग के चारों ओर ऊँची दीवार बनवा दी। बाहर एक बोर्ड भी लगा दिया - बाग के अंदर आना मना है। फिर आया वसंत का मौसम। बाग में छोटे-छोटे फूल खिले। नन्हीं चिडिया चहकने लगी। घमंडी अपने पलंग पर लेटा था। उसने छोटी चिड़िया का मधुर संगीत सुना तो वह बाहर अाया। खिड़की के पास बैठी छोटी चिडि़या का गाना सुनकर उसे बहुत अच्छा लगा। उसने देखा कि कुछ बच्चे बाग की दीवार में बने एक छेद में से अंदर आ गए हैं और पेड् पर चढ़ गए हैं। आगे क्या हुआ यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए..

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