शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2016
प्रेरक कथा – ईश्वर से मुलाकात – भारती परिमल
कहानी का अंश…
एक छोटा बच्चा था, मनु। मनु बहुत ही प्यारा बच्चा था। उसे घर में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी। घर में दादा-दादी, मम्मी-पापा सभी उसका कहना मानते थे, लेकिन मनु को लगता था कि वे सभी हमेशा उसे टोकते ही रहते हैं। मनु, होमवर्क किया कि नहीं? मनु बैग ठीक किया कि नहीं? मनु अपना खाना पूरा खाओ। देखो तुमने रोटी आधी छोड़ दी है। मनु अपनों की इस रोक-टोक से तंग आ गया था। उसने सोचा कि एक दिन ईश्वर से मुलाकात करूँगा और उनसे पूछूँगा कि उन्होंने ऐसी दुनिया क्यों बनाई। आखिर एक दिन वह ईश्वर की खोज में निकल ही पड़ा। क्या पता, कब ईश्वर से मुलाकात हो, शाम हो जाए!!!! यह सोचकर उसने अपने साथ बैग में कुछ नाश्ता और पानी की बॉटल भी रख ली। चलते-चलते वह थक गया और पहुँच गया एक पार्क में। रविवार होने के कारण पार्क में कुछ भीड़ भी थी। बच्चे खेल रहे थे। आखिर वह थककर एक बैंच पर बैठ गया और उन्हें खेलता हुआ देखने लगा। फिर उसने अपना बैग खोला और उसमें से चिप्स का पैकेट निकाल कर खाने लगा। इतने में उसने देखा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति उसी बैंच पर किनारे की ओर आकर बैठ गए हैं। वे पसीने से भीगे हुए थे और काफी थके हुए लग रहे थे। मनु ने अपना चिप्स का पैकेट उनकी तरफ बढ़ा दिया। आगे क्या हुआ, यह जानने के लिए इस ऑडियो की मदद लीजिए…
लेबल:
कहानी,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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