सोमवार, 3 अक्तूबर 2016

कुछ कविताएँ – 2 – शैलजा दुबे

कविता का अंश… देश की आन बान शान, सीमा पर तैनात ये जवान... आँखों में अंगारे हैं, हौसला है, हिम्मत है, दुश्मन को कर देगें तबाह, ली ये शपथ है .... उठो जाबाज़ों! दिखा दो दुश्मनों को, हम कायर नही, हमको कम न आँको... मैदां में हम उतरेंगे, तुमको धूल चटाएँगे, शेर हैं हम गीदड़ नही, जो तुमसे डर जाएँगे... छाती चौड़ी करके, सीने पर वार सहेंगे, जब तक हैं सांसे, सरहद पर डटे रहेंगे..... अंत तुम्हारा निश्चित है, बहुत हुई आँख मिचौली, साहस है तो आ जाओ, खेलेंगे खून की होली। ऐसी ही अन्य कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए…

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