शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2016

बाल कविता – नींद – डॉ. श्रीप्रसाद

कविता का अंश… नींद बड़ी अच्छी लगती है, मीठी गोली जैसी। नींद बड़ी अच्छी लगती है, माँ की बोली जैसी। नींद बड़ी अच्छी लगती है, अपने खेलों जैसी। नींद बड़ी अच्छी लगती है, सुंदर मेलों जैसी। नींद बड़ी अच्छी लगती है, खिल खिल फूलों जैसी। नींद बड़ी अच्छी लगती है, प्यारे झूलों जैसी। नींद बड़ी अच्छी लगती है, झिलमिल किरनों जैसी। नींद बड़ी अच्छी लगती है, चंचल हिरनों जैसी। नींद बड़ी अच्छी लगती है, अपनी नानी जैसी। नींद बड़ी अच्छी लगती है, कथा कहानी जैसी। नींद बड़ी अच्छी लगती है…. इस अधूरी कविता को पूरा सुनने का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए…

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