गुरुवार, 13 अक्टूबर 2016
सावन के झूले – डॉ. रेणु शर्मा
लेख का अंश…
झूले का सीधा रिश्ता ब्रज से जुड़ जाता है और ऊँचे घने वृक्षों पर मूंज की मजबूत रस्सी पर लम्बी-लम्बी पेंगे भरती ग्वाल बालाओं की तसवीर उभर आती है। कन्हैया के बचपन की क्रीड़ा झूले से शुरू होकर यौवनावस्था के राधा के संग झूले पर प्रेम पगी कुछ चिर स्थायी स्मृतियों तक की गाथाएँ झूले के साथ ही अनुभूत होने लगती है। सावन मास के शुरू होते ही माता-पिता की लाडो रही बिटिया पीहर आकर अपने भाइयों से झूला डालने की जिद करने लगी है। जहाँ भी नजर घुमाओ, छोटी डाल से लेकर आम के बागों तक झूले ही झूले दिखने लगते हैं। ऐसी रस्मोरिवाज से लबरेज ब्रज के छोटे गाँव में पली मैं अपने बड़े आँगन में जाने कबसे जमे नीम के पेड़ पर झूला डलवा लेती थी। सावन की रिमझिम फुहारों के बीच ऊँची पेंगे भरने पर ऐसा लगता था जैसे बादलों के बीच हम किसी कोमल रेशम की डोरी के सहारे एक जगह से दूसरी जगह पर फुदक रहे हैं। हमारे नीम के पेड़ की डालियाँ सावन आते ही बाँट ली जाती थी। कभी-कभी तो ये सोचकर खुशी होती कि हमें सावन का गीत गाना आत है। और माँ से छुपाकर सावन की मल्हारें किताब खरीदकर लाते और स्वरचित धुन में उसे काफी रात तक गाते। जब सखियों से संबंध अच्छे चल रहे हों, तो एक ही डाली पर दो झूले एक साथ डालकर एक-दूसरे की पटली में पैर फँसाकर झूलों को जोड़ लिया जाता और शुरू होता झूलने का लंबा सिलसिला। इस खेल के लिए हम दिन बाँट लिया करते थे। सावन के झूलों की ऐसी ही बचपन से जुड़ी पूरी दास्तान ऑडियो के माध्यम से सुनिए….
लेबल:
दिव्य दृष्टि,
लेख

सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें