मंगलवार, 11 अक्टूबर 2016
हास्य कविता - "एकतरफ़ा प्यार" - सूर्यकुमार पांडेय
कविता का अंश..
इक चाँदनी-सी लड़की, स्मार्ट दिख रही है,
वह दूर देश से ख़त 'इन्बॉक्स' लिख रही है।
उससे नहीं मिला मैं, मुझसे नहीं मिली वह,
मैं जानता नहीं हूँ, किस बाग़ की लिली वह।
ख़ुशबू हरेक अक्षर में गीत भर रही है,
पर एक ख़त वो कइयों को टैग कर रही है ।
जिस-जिस को ख़त मिला, वह उन सबको अपनी लगती,
आकांक्षा मिलन की हर हृदय में सुलगती।
है शशिमुखी, सभी का तम दूर कर रही है,
वह चाँदनी सभी के आँगन में भर रही है ।
यह मानता हूँ, चेहरा लाखों में एक उसका,
यूँ भाव से है सच्ची, पर चित्र 'फेक'उसका ।
कुछ ग़लत लिख गया तो अब एंड कर ही देगी,
यह भी पता है, मुझको 'अनफ़्रेन्ड' कर ही देगी।
इक चाँदनी-सी चाहत से, हाय! डर रहा हूँ,
वह 'फेक' है या 'रीयल', मैं प्यार कर रहा हूँ।
इस कविता का अानंद ऑडियो की मदद से लीजिए....
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