मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016
लघुकथा - रिटायरमेंट - रमेश‘आचार्य’
कहानी का अंश...
जीवन के साठ बसंत पूरा करने के बाद आज मिस्टर शर्मा स्वयं को सभी जिम्मेदारियों से मुक्त मान रहे थे। आज वे पैंतीस साल नौकरी करने के बाद अपने ऑफिस को अलविदा कहने जा रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर अपने घर में एक पार्टी का आयोजन किया था। इस पार्टी में उनके ऑफिस के सहकर्मी, रिश्तेदार और पास-पड़ोस के सभी लोग शामिल थे। यह पार्टी किसी विवाह समारोह से कम न थी। सभी मिस्टर शर्मा और मिसेज शर्मा की खूब तारीफ कर रहे थे, साथ ही उनके तीनों बेटों-बहुओं के व्यवहार की भी प्रशंसा कर रहे थे। आज कई सालों के बाद मिस्टर शर्मा और मिसेज शर्मा आपस में खूब हँस-हँस कर बातें कर रहे थे, क्योंकि तीनों बच्चों के लालन-पालन में वे इतना व्यस्त हो गए थे कि एक घर में रहकर भी एक-दूसरे की भावनाओं को समझने का वक्त न निकाल सकें। वे अपनी पत्नी से बोले - ‘‘हम अपने बच्चों के प्रति माँ-बाप का फर्ज अदा कर चुके हैं। आज से हम आजाद हैं और अब अपनी मर्जी से जिएँगे। तभी उनके बॉस आए और बोले - ‘‘मिस्टर शर्मा आप बहुत ईमानदार, मेहनती और संकल्पी हो, आप हम सब के लिए भी एक मिसाल हो। आपने अपने तीनों बच्चों को इतनी बढिय़ा तालीम दिलवाई कि वे आज ऊॅंचे पदों पर काम कर रहे हैं।’ वे बोले - ‘‘नहीं सर, यह प्रेरणा तो मुझे आप लोगों के साथ काम करके मिली है।’एक सप्ताह के बाद मिस्टर शर्मा की सबसे बड़ी बहू आई और बोली-‘‘पापा, मुझे आप से कुछ कहना है क्यों क पिंकी के पापा का आपसे कहने का साहस नहीं हो रहा है।’ उन्होने पूछा-‘‘ कहो बेटी, ऐसी क्या बात है?’’ पापा, आप तो जानते ही हो कि पिंकी भी अब दसवीं क्लास में पढ़ रही है और उसका बोर्ड एग्जाम है। इतने छोटे घर में उसकी स्टडी में प्रॉब्लम आएगी। पिंकी के पापा को ऑफिस की और से फलैट अलॉट हो चुका है, इसलिए हमने वहाँ जाने का मन बना लिया है।’ मिस्टर शर्मा बोले-‘‘इसमें घबराने की क्या बात है, हमें तो खुशी है कि तुम अपनी जिम्मेदारी समझने लगे हो।’ कुछ दिन बाद उनका मँझला बेटा आया और बोला - ‘‘ मम्मी-पापा आपके लिए एक गुड न्यूज है। मुझे अपने ऑफिस की ओर से दो साल के लिए अमेरिका जाने का ऑफर मिला है और मैं यह चांस खोना नहीं चाहता हूँ लेकिन आप जानते हैं कि मैं खाने-पीने के मामले में कितना लापरवाह हूँ। मैं सुमित्रा और बच्चों को भी साथ ले जाना चाहता हूँ। बस, आपकी परमीशन और आशीर्वाद चाहिए।’ मिस्टर शर्मा बोले- ‘‘ हमारा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है, जहाँ जाओ, खुश रहो।’ आगे क्या हुआ यह जानने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए…
संपर्क -ईमेलः acharya214@yahoo.in
मोबाइल-9560902794
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दिव्य दृष्टि,
लघुकथा
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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